"जगन्नाथ मन्दिर, पुरी": अवतरणों में अंतर

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<!-- [[Image:|thumb|450px| पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर]] -->
[[पुरी]] का '''श्री जगन्नाथ मंदिर''' एक [[हिन्दू]] मंदिर है, जो कि भगवान [[जगन्नाथ]] (श्री[[कृष्ण]]) को समर्पित है। यह [[भारत]] के [[उड़ीसा]] राज्य के तटवर्ती शहर [[पुरी]] में स्थित है। जगन्नाथ शब्द का संधि विच्छेद करने पर जगत+नाथ=अर्थ जगत के नाथ या स्वामी होता है, जो कि इसका अर्थ है। इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है। <ref>{{अंग्रेजी चिह्न}} [http://www.shrifreedom.com/VyasaSJC/lessons1VedicConcepts.htm Vedicवैदिक Conceptsकॉन्सेप्ट्स] "संस्कृत में एक उदाहरणार्थ शब्द से जगत का अर्थ ब्रह्मांड निकला। An example in Sanskrit is seen with the word Jagat which means universe. In Jaganath, the ‘t’ becomes an ‘n’ to mean lord (nath) of the universe." </ref><ref> {{अंग्रेजी चिह्न}}[http://www.hvk.org/articles/0802/85.html Symbolसिंबल ofऑफ Nationalismनेश्नलिज़्म] "The fame and popularity of "the Lord of the Universe: Jagannath" both among the foreigners and the Hindu world "</ref> इस मंदिर को [[हिन्दुओं के चार धाम]] में से एक गिना जाता है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो कि भगवान [[विष्णु]] के अवतार श्री [[कृष्ण]] को समर्पित है। <ref>{{cite web
|url=http://www.indhistory.com/hindu-temple/hindu-temple-jagannath-temple.html
|title=जगन्नाथ मंदिर
|title=Jagannath Temple
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|accessdate=2006-09-12
}}</ref> इस मंदिर कीका वार्षिक [[रथ यात्रा]] उत्सव प्रसिद्ध है,है। जिसमेंइसमें मंदिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान [[जगन्नाथ]], उनके बड़े भ्राता [[बलभद्र]] (बलराम) और भगिनी [[सुभद्रा]] तीनों, तीन अलग -अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं। मध्य-काल से ही यह उत्सव अतीव हर्षोल्लस के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही यह उत्सव [[भारत]] के ढेरों वैष्णव कृष्ण मंदिरों में मनाया जाता है, एवं यात्रा निकाली जाती है। <ref>{{cite web
|url = http://www.time.com/time/magazine/article/0,9171,892784,00.html
|title=Juggernaut
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|accessdate=2006-09-12
}}</ref>.यह मंदिर वैष्णव परंपराओं और संत [[रामानंद]] से जुड़ा हुआ है। यह [[गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय]] के लिये खास महत्व रखता है,है। जिसकेइस पंथ के संस्थापक श्री [[चैतन्य महाप्रभु]] भगवान की ओर आकर्षित हुए थे, और कई वर्षों तक पुरी में रहे भी थे। <ref>{{cite web
|url=http://vedabase.net/cc/madhya/1/247/en1
|title=भाक्तिवेदांत वेद बेस
|title=Bhaktivedanta VedaBase
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|accessdate=2006-09-12
}}</ref>
जगन्नाथ मंदिर का सबसेएक बड़ा आकर्षण यहां की रसोई है। यह रसोई भारत की सबसे बड़ी रसोई के रूप में जानी जाती है। इस विशाल रसोई में भगवान को चढाने वाले महाप्रसाद को तैयार करने के लिए ५०० रसोईए तथा उनके ३०० सहयोगी काम करते हैं।
==मंदिर का उद्गम==
{{TOCleft}}
[[Image:Jagannatha Puri temple chakra.jpg|thumb|मंदिर के शिखर पर स्थित चक्र और ध्वज। चक्र सुदर्शन चक्र का प्रतीक है, और लाल ध्वज भगवान जगन्नाथ इस मंदिर के भीतर हैं, इस का प्रतीक है।]]
[[गंग वंश]] कीके हाल ही में अन्वेषित ताम्र पत्रों से यह ज्ञात हुआ है, कि वर्तमान मंदिर के निर्माण कार्य को [[कलिंग]] राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने आरम्भ कराया था। <ref>{{cite web
|url=http://www.jagannathpuri.blessingsonthenet.com/
|title=जगन्नाथ मंदिर
|title=Jagannath Temple
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}}</ref>। मंदिर के जगमोहन और विमान भाग इनके शासन काल (1078[[१०७८]] - 1148 ईसवी[[११४८]]) में बने थे। फिर भी सन 1174 ई.[[११७]] में जाकर उड़िया शासक अनंग भीम देव ने इस मंदिर को वर्तमान रूप दिया था। <ref>{{cite web
|url=http://orissagov.nic.in/e-magazine/Orissareview/may2006/engpdf/33-36.pdf
|title=लॉर्ड जगन्नाथ: सिंबल ऑफ युनिटी एण्ड इंटीग्रेशन
|title=Lord Jagannath : Symbol of Unity and Integration
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|accessdate=2006-05-01
}}</ref>.
 
मंदिर में जगन्नाथ अर्चना सन 1558[[१५५८]] तक होती रही,रही। जबइस किवर्ष अफगान जनरल [[काला पहाड़]] ने उड़ीसा पर हमला किया और मूर्तियां तथा मंदिर के भाग ध्वंस किए, तबरफू जा बंद करा तक।दी। बाद में, रामचंद्र देब के [[खुर्दा]] में स्वतंत्र राज्य स्थापित करने पर, मंदिर और इसकी मूर्तियों की पुनर्स्थापना हुई। <ref>{{cite web
|url=http://www.jagannathpuri.blessingsonthenet.com/
|title=जगन्नाथ मंदिर
|title=Jagannath Temple
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|accessdate
पंक्ति 50:
 
===मंदिर से जुड़ी कथाएं ===
इस मंदिर के उद्गम से जुडईजुड़ी परंपरागत कथा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की इंद्रनील या नीलमणि से निर्मित मूल मूर्ति, एक [[अंजीर]] वृक्ष के नीचे मिली, जो कि इंद्रनील या नीलमणि से निर्मित थी। यह इतनी चकचौंध करने वाली थी, कि धर्म ने इसे पृथ्वी के नीचे छुपाना चाहा। [[मालवा]] नरेश [[इंद्रद्युम्न]] केको स्वप्न में यही मूति दिखाई दी।दी थी। तब उसने कड़ी तपस्या की, और तब भगवान [[विष्णु]] ने उसे बताया कि वह [[पुरी]] के समुद्र तट पर जाये, और उसे एक दारु (लकड़ी) का लठ्ठा मिलेगा। उसी लकड़ी से वह मूर्ति का निर्माण कराये। राजा ने ऐसा ही किया, और उसे लकड़ी का लठ्ठा मिल भी गया। तबउसके उसेबाद राजा को विष्णु और [[विश्वकर्मा]] बढ़ई कारीगर और मूर्तिकार के रूप में उसके सामने उपस्थित हुए। तबकिंतु उन्होंने यह शर्त रखी, कि वे एक माह में मूर्ति तैयार कर देंगे, परन्तु तब तक वह एक कमरे में बंद रहेंगे, और राजा या कोई भी उस कमरे के अंदर नहीं आये। माह के अंतिम दिन जब कई दिनों तक कोई भी आवाज नहीं आयी, तो उत्सुकता वश उसनेराजा ने कमरे में झांका, और वह वृद्ध कारीगर द्वार खोलकर बाहर आ गया, और राजा से कहा, कि मूर्तियां अभी अपूर्ण हैं, उनके हाथ अभी नहीं बने थे। राजा के अफसोस करने पर, मूर्तिकार ने बताया, कि यह सब दैववश हुआ है, और यह मूर्तियां ऐसे ही स्थापित होकर पूजी जायेंगीं। तब वही तीनों जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां मंदिर में स्थापित की गयीं।
<ref>{{cite web
|url=http://www.templenet.com/Orissa/puri.html
|title=जगन्नाथ टेम्पल ऐट पुरी
|title=Jagannath Temple at Puri
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|accessdate=2006-09-12
पंक्ति 59:
 
===बौद्ध मूल ===
कुछ इतिहासकारइतिहासकारों यहका सोचतेविचार हैं,है कि इस मंदिर के स्थान पर पूर्व में एक बौद्ध स्तूप होता था। उस स्तूप में [[गौतम बुद्ध]] का एक दांत रखा था। बाद में इसे इसकी वर्तमान स्थिति, [[कैंडी]], [[श्रीलंका]] पहुंचा दिया गया। <ref>{{cite web
|url=http://orissagov.nic.in/e-magazine/Orissareview/july2003/englishchpter/OldJagannathTemplePuriBuddhistSomavamsiConnections.pdf
|title=ओल्डेस्ट जगन्नाथ टेम्पल ऑफ पुरी- द बुद्धिस्ट एण्द सोमवासी कनेक्शंस
|title=Oldest Jagannath Temple of Puri The Buddhist and Somavamsi Connections
|publisher=
|accessdate=2006-09-12
}}</ref> इस काल में बौद्ध धर्म को वैष्णव सम्प्रदाय ने आत्मसात कर लिया था, जबऔर तभी जगन्नाथ अर्चना ने लोकप्रियता हासिल की।पाई। यह दसवीं शताब्दी के लगभग हुआ, जब [[उड़ीसा]] में सोमवंशी राज्य चल रहा था। <ref>{{cite web
|url=http://www.orissa.gov.in/e-magazine/Orissareview/jul2005/engpdf/jainism_budhism_in_joga-culture.pdf
|title=जैनिज़्म ऎण्ड बुद्धज़्मइन जगन्नाथ कल्चर
|title=Jainism and Buddhism in Jagannath Culture
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|accessdate=2003-07-01
}}</ref>
 
[[महाराजा रणजीत सिंह]], महान सिख सम्राट ने इस मंदिर को प्रचुर मात्रा में स्वर्ण दान किया था, जो कि उनके द्वारा [[स्वर्ण मंदिर, अमृतसर]] को दिये गये स्वर्ण से कहीं अधिक था। उन्होंने अपने अंतिम दिनों में यह वसीयत भी की थी, कि विश्व प्रसिद्ध [[कोहिनूर]] हीरा, जो कि विश्व में अबतकअब भीतक सबसे मूल्यवान और सर्वाधिकसबसे बड़ा [[हीरा]] है, को इस मंदिर को दान कर दिया जाये। लेकिन यह सम्भव ना हो सका, क्योकि उस समय तक, [[ब्रिटिश]] ने [[पंजाब]] पर अपना अधिकार करके , उनकी सभी शाही सम्पत्ति जब्त कर ली थी। वर्ना कोहिनूर हीरा, भगवान जगन्नाथ के मुकुट की शान होता।<ref>[[कोहिनूर हीरा#सम्राटों के रत्न]] - आंतरिक कड़ी</ref>
 
==मंदिर का ढांचा ==
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मंदिर का वृहत क्षेत्र {{convert|400000|ft2|m2}} में फैला है, और चहारदीवारी से घिरा है। उड़िया शैली के मंदिर स्थापत्यकला, और शिल्प के आश्चर्यजनक प्रयोग से परिपूर्ण, यह मंदिर, भारत के भव्यतम स्मारक स्थलों में से एक है। <ref>{{cite web
|url=http://www.odissi.com/orissa/jagannath.htm
|title=श्री जगन्नाथ
|title=Sri Jagannath
|publisher=
|accessdate=2006-09-12
}}</ref>
 
मुख्य मंदिर वक्ररेखीय आकार का मंदिर है, जिसके शिखर पर विष्णु का श्री चक्र (आठ आरों का चक्र) मंडित है। इसे नीलचक्र भी कहते हैं। यह [[अष्टधातु]] से निर्मित है, और अति पावन और पवित्र माना जाता है। मंदिर का मुख्य ढांचा एक पाषाण चबूतरे पर बना है, और{{convert|214|ft|m}} ऊंचाऊंचे पाषाण चबूतरे पर बना है। इसके भीतर आंतरिक गर्भगृह है, जहांमें मुख्य देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। यह भाग इसे घेरे हुए अन्य भागों की अपेक्षा अधिक वर्चस्व वाला है। इससे लगे घेरदार मंदिर की पिरामिडाकार छत, और लगे हुए मण्डप, अट्टालिकारूपी मुख्य मंदिर के निकट होते हुए ऊम्चेऊंचे होते गये हैं। यह एक पर्वत को घेरेहुएघेर ेहुए अन्य छोटे पहाड़ियों, फिर छोटे टीलों के समूह रूपी बना है।<ref>{{cite web
|url=http://www.cultureholidays.com/Temples/jagannath.htm
|title=जगन्नाथ टेम्पल, उड़ीसा
|title=Jagannath Temple, Orrisa
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|accessdate=2006-09-20
}}</ref>
 
मुख्य मढ़ी (भवन) एक {{convert|20|ft|m}} ऊंची दीवार से घिरा हुआ है।है एकतथा दूसरी दीवार मुख्य मंदिर को घेरती है। एक भव्य सोलह किनारों वाला एकाश्म स्तंभ, मुख्य द्वार के ठीक सामने स्थित है। इसका द्वार दो सिंहों द्वारा रक्षित हैं।<ref>{{cite web
|url=http://www.odissi.com/orissa/jagannath.htm
|title=श्री जगन्ना टेम्पल
|title=Sri Jagannath Temple
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|accessdate=2006-09-20
पंक्ति 97:
 
=== देवता ===
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा, इस मंदिर के मुख्य देव हैं। इनकी मूर्तियां, एक रत्न मण्डित पाषाण चबूतरे पर गर्भ गृह में स्थापित हैं। इतिहास अनुसार इन मूर्तियों की अर्चना मंदिर निर्माण से कहीं पहले से की जाती रही है। सम्भव है, कि यह प्राचीन जनजातियों द्वारा भी पूजित रही हो। <ref>{{cite web
|url=http://www.kamat.com/kalranga/nindia/orissa/jaganath.htm
|title=Juggernaut of Puri
पंक्ति 105:
 
==उत्सव==
यहां विस्तृत दैनिक पूजा-अर्चनाएं होती हैं। यहां कई वार्षिक त्यौहार भी आयोजित होते हैं, जिनमें सहस्रों लोग भाग लेते हैं। इनमें सर्वाधिक महत्व का त्यौहार है, [[रथ यात्रा]], जो कि [[आषाढ]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[द्वितीया]] को, तदनुसार लगभग [[जून]] या [[जुलाई]] माह में आयोजित होता है। इस उत्सव में तीनों मूर्तियों को अति भव्य और विशाल रथों में सुसज्जित होकर, यात्रा पर निकलतेनिकालते हैं। <ref>{{cite web
|url=http://www.templenet.com/Orissa/puri.html
|title=जगन्नाथ टेम्पल ऐट पुरी
|title=Jagannath Temple at Puri
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|accessdate=2006-09-20
पंक्ति 116:
आधुनिक काल में, यह मंदिर काफी व्यस्त और सामाजिक एवं धार्मिक आयोजनों और प्रकार्यों में व्यस्त है। इस मंदिर की रसोई भारत की सबसे बड़ी पाकशाला है। <ref>{{cite web
|url=http://www.odissi.com/orissa/jagannath.htm
|title=श्री जगन्नाथ
|title=Sri Jagannath
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|accessdate=2006-09-12
}}</ref>
 
इस मंदिर में प्रविष्टि प्रतिबंधित है। इसमें अहिन्दूगैर-हिन्दू लोगों का प्रवेश सर्वथा वर्जित है। <ref>{{cite web
|url=http://www.iskcon.com/culture/holy_places/j_puri.html
|title=जगन्नाथपुरी
|title=Jagannatha Puri
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|accessdate=2006-09-12
}}</ref> पर्यटकों की प्रविष्टि भी वर्जित है। हां, वे मंदिर के अहाते और अन्य आयोजनों का दृश्य, निकटवर्ती रघुनंदन पुस्तकालय की ऊंची छत से अवलोकन कर सकते हैं।<ref>{{cite web
|url = http://www.planetware.com/puri/jagannath-temple-ind-oris-jag.htm
|title = Puriपुरी - Jagannathजगन्नाथ Templeटेम्पल}}</ref> इसके कई प्रमाण हैं, कि यह प्रतिबंध, कई विदेशियों द्वारा मंदिर और निकटवर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ, और श्रेणिगत हमलों के कारण लगाये गये हैं। [[बौद्ध]] एवं [[जैन]] लोग मंदिर प्रांगण में आ सकते हैं, बशर्ते कि वे अपनी भारतीय वंशावली का प्रमाण, मूल प्रमाण दे पायें।<ref>{{cite web
|url=http://www.odissi.com/orissa/jagannath.htm
|title=जगन्नाथ टेम्पल
|title=Jagannath Temple
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|accessdate=2006-09-12
}}</ref> मंदिर ने धीरे-धीरे, गैर-भारतीय मूल के लेकिन हिन्दू लोगों का प्रवेश क्षेत्र में स्वीकार करना आरम्भ किया है। यहएक तब से आरम्भ हुआ, जबबार तीन [[बाली]] के हिन्दू लोगों को प्रवेश वर्जित कर दिया गया था, जबकि [[बाली]] की ९०% जनसंख्या हिन्दू है।<ref>[http://www.telegraphindia.com/1071108/asp/nation/story_8524891.asp Puriपुरी templeतेम्पल्क inऐट Hinduहिन्दूग gaffeगैफे] The Telegraphटेलीग्राफ़, Calcutta कलकत्ता- Novemberनवंबर 08०८, 2007२००७</ref>. तब निवेदन करने पर भविष्य के लिए में स्वीकार्य हो गया।
 
== सन्दर्भ ==
पंक्ति 141:
* [[जगन्नाथ]]
* [[रथ यात्रा]]
 
{{चार धाम}}
== बाहरी कड़ियां ==
 
पंक्ति 157:
* {{wikitravel}}
 
{{चार धाम}}{{ प्रसिद्ध विष्णु मंदिर }}
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