"असहयोग आन्दोलन": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
→आन्दोलन समाप्ति का निर्णय: 4 फरवरी के स्थान पर 5फरवरी किया टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
No edit summary |
||
पंक्ति 1:
1914-18 के महान युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने [[प्रेस]] पर प्रतिबंध लगा दिया था और बिना जाँच के कारावास की अनुमति दे दी थी। अब सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली एक समिति की संस्तुतियों के आधार पर इन कठोर उपायों के को जारी रखा गया। इसके जवाब में गाँधी जी ने देशभर में '[[रौलेट एक्ट|रॉलेट एक्ट]]' के खिलाफ़ एक अभियान चलाया। उत्तरी और पश्चिमी भारत के कस्बों में चारों तरफ़ बंद के समर्थन में दुकानों और स्कूलों के बंद होने के कारण जीवन लगभग ठहर सा गया था। पंजाब में, विशेष रूप से कड़ा विरोध हुआ, जहाँ के बहुत से लोगों ने युद्ध में अंग्रेजों के पक्ष में सेवा की थी और अब अपनी सेवा के बदले वे ईनाम की अपेक्षा कर रहे थे। लेकिन इसकी जगह उन्हें रॉलेट एक्ट दिया गया। [[पंजाब]] जाते समय गाँधी जी को कैद कर लिया गया। स्थानीय कांग्रेसजनों को गिरफ़तार कर लिया गया था। प्रांत की यह स्थिति धीरे-धीरे और तनावपूर्ण हो गई तथा अप्रैल 1919 में [[अमृतसर]] में यह खूनखराबे के चरमोत्कर्ष पर ही पहुँच गई। जब एक अंग्रेज ब्रिगेडियर ने एक राष्ट्रवादी सभा पर गोली चलाने का हुक्म दिया तब [[जालियाँवाला बाग हत्याकांड]] के नाम से जाने गए इस हत्याकांड में लगभग 1,000 लोग मारे गए और 1600 घायल हुए।
== असहयोग का आरंभ ==
|