"आरा": अवतरणों में अंतर

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'''आरा''' [[भारत]] के [[बिहार]] का एक प्रमुख शहर है। यह भोजपुर जिला का मुख्यालय है। राजधानी पटना से इसकी दूरी महज 55 किलोमीटर है। देश के दूसरे भागों से ये सड़क और रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है। आरा एक अति प्राचीन शहर है। पहले यहां मोरध्वज नामक राजा का शासन था। महाभारतकालीन अवशेष यहां के बिखरे पड़े हैं। ये आरण्य क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता था। यहां का आरण्य देवी बहुत प्रसिद्ध है। शहर में बुढ़वा महादेव, पतालेश्वर मंदिर, रमना मैदान का महावीर मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर प्रमुख हैं. शहर का बड़ी मठिया नामक विशाल धार्मिक स्थान है। शहर के बीचोबीच अवस्थित बड़ी मठिया रामानंद सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र है। वाराणसी की तर्ज पर मानस मंदिर भी निर्माणाधीन है। आरा शहर के कई लोगों ने शिक्षा, साहित्य , संस्कृति और पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी कामयाबी का झंडा बुलंद किया है। प्रोफेसर मिथिलेश्वर, उर्मिला कौल, मधुकर सिंह, अनंत कुमार सिंह, नीरज सिंह, निलय उपाध्याय, जवाहर पाण्डेय जैसे लोग समाकालिन साहित्य को दिशा दे रहे हैं। भोजपुर कंठ, आरण्य ज्योति जैसे दो पाक्षिक अखबार लम्बे समय से प्रकाशित हो रहे हैं। कभी टटका नामक भोजपुरी अखबार भी आरा से प्रकाशित होता था। बीच के दिनों में शाहाबाद भूमि और समकालीन भोजपत्र नामक पाक्षिकों का प्रकाशन शुरू हुआ जो अब बंद है। मित्र और जनपथ नामक साहित्यिक पत्रिकाएं भी प्रकाशित हो रही हैं। जनवादी लेखक संघ,प्रगतिशील लेखक संघ और अखिल भारतीय साहित्य परिषद की इकाईयां शहर में सक्रिया हैं। अभी भोजपुरी भाषा के कई लेखक और उनके संगठन भी शहर में सक्रिय हैं। आरा शहर में कई पुरानी ऐतिहासिक इमारते हैं। महाराजा कॉलेज परिसर स्थित आरा हाउस, रमना मैदान के पास का चर्च, बड़ी मस्जिद, नागरी प्रचारिणी सभागार सह पुस्तकालय, बाल हिन्दी पुस्तकालय, श्री जैन सिद्धांत भवन आदि प्रमुख स्थान हैं. शहर में जैन समुदाय के कई प्राचीन मंदिर हैं। जैन बाला विश्राम नामक पुराना छात्राओं का स्कूल भी यहां है। हरप्रसाद दास जैन कॉलेज, महाराजा कॉलेज, सहजानंद ब्रह्मर्षि कॉलेज, जगजीवन कॉलेज, महंत महादेवानंद महिला कॉलेज अंगीभूत कॉलेज हैं. इसके अलावे भी कई छोटे -मोटे कॉलेज और स्कूल शहर की शैक्षणिक पहचान दिलाते हैं। डेढ़ दशक पहले यहां वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। आऱा ने जगजीवन राम, राम सुभग सिंह, अंबिका शरण सिंह , रामानंद तिवारी जैसे नेता दिये। आरा सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है। आरा में कई रंगसंस्थाएं हैं जो अक्सर अपनी रंग प्रस्तुतियों के जरिए लोगों का मनोरंजन और शिक्षा के साथ सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरूक बनाती रही हैं। युवानीति, दृष्टिकोण, कमायनी, भूमिका, अभिनव, रंगभूमि जैसी संस्थाएं आरा में कई रंगप्रस्तुतियां करती रही हैं। डॉ श्याम मोहन अस्थाना, सिरील मैथ्यू, नवेन्दु, श्रीकांत, अजय कुमार, सुनील सरीन, अजय शेखर प्रकाश, श्रीधर ने आरा रंगमंच के विकास के लिए काफी योगदान दिया है। महिला रंगकर्मियों में छंदा सेन का नाम प्रमुख है जो लंबे समय तक रंगमंच पर सक्रिय रही हैं।
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"https://hi.wikipedia.org/wiki/आरा" से प्राप्त