"जगजीवन राम": अवतरणों में अंतर

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== राजनीतिक जीवन का शंखनाद ==
बाबू जगजीवन राम के राजनीतिक जीवन का आगाज़ [[कलकत्ता]] से ही हुआ | कलकत्ता आने के छः महीनों के भीतर ही उन्होंने विशाल मजदूर रैली का आयोजन किया जिसमें भारी तादाद में लोगों ने हिस्सा लिया | इस रैली से [[नेताजी सुभाष चन्द्र बोस]] जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी को भी बाबूजी की कार्यक्षमता व नेतृत्वक्षमता का आभास हो गया | इस काल के दौरान बाबूजी ने वीर [[चन्द्रशेखर आजाद|चंद्रशेखर आज़ाद]] तथाP opतथा सिद्धहस्त लेखक [[मन्मथनाथ गुप्त]] जैसे विख्यात स्वतंत्रता विचारकों के साथ काम किया |
वर्ष 1934 में जब संपूर्ण [[बिहार]] भूकंप की तबाही से पीड़ित था तब बाबूजी ने बिहार की मदद व राहत कार्य के लिए अपने कदम बढ़ाए | बिहार में ही पहली बार उनकी मुलाकात उस काल के सबसे महत्त्वपूर्ण, प्रभावशाली व अहिंसावादी स्वतंत्रता सेनानी माननीय श्री मोहन दास करमचंद गाँधी अर्थात् महात्मा गाँधी से हुई | महात्मा गाँधी ने बाबू जगजीवन राम के राजनीतिक जीवन में एक बहुत अहम भूमिका निभाई, क्योंकि बाबूजी यह जानते थे कि पूरे भारत वर्ष में केवल एक ही स्वतंत्रता सेनानी ऐसा था जो स्वतंत्रता व पिछड़े वर्गों के विकास, दोनों के लिए लड़ रहा था, और वे थे गांधीजी | अन्य सभी सेनानी दोनों में से किसी एक का चुनाव करते थे |
जब अंग्रेज़ 'फूट डालो राज करो' नीति अपनाते हुए दलितों को सामूहिक धर्म-परिवर्तन करने पर मजबूर कर रहे थे तब बाबूजी ने इस अन्यायपूर्ण कर्म को रोका | इस घटनाक्रम के पश्चात् बाबूजी दलितों के सर्वमान्य राष्ट्रीय नेता के रूप में जाने गए व गांधीजी के विश्वसनीय एवं प्रिय पात्र बने व भारतीय राष्ट्रीय राजनीती की मुख्यधारा में प्रवेश कर गए |