"अखिल भारतीय हिन्दू महासभा": अवतरणों में अंतर

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सन् 1925 में कलकत्ता नगरी में [[लाला लाजपत राय]] की अध्यक्षता में हिंदू महासभा का अधिवेशन हुआ जिसमें प्रसिद्ध कांग्रेसी नेता [[मुकुंदराव आनंदराव जयकर]] भी सम्मिलित हुए। सन् 1926 में देश में प्रथम निर्वाचन होने जा रहा था। अंग्रेजों ने असंबलियों में मुसलमानों के लिए स्थान सुरक्षित कर दिए। हिंदूमहासभा ने पृथक् निर्वाचन के सिद्धांत और मुसलमानों के लिए सीटें सुरक्षित करने की विरोध किया।
 
जब अंग्रेजों का [[साइमन कमीशन]], रिफार्म ऐक्ट में सुधार के लिए भारत आया, तो हिंदू महासभा ने भी कांग्रेस के कहने पर इसका बहिष्कार किया। [[लाहौर]] में हिंदू महासभा के अध्यक्ष [[लाला लाजपत राय]] हिंदू महासभा के हजारों स्वयंसेवकों के साथ काले झंडे लेकर कमीशन के बहिष्कार के लिए एकत्र हुए। पुलिस ने बहुत ही निर्दयता से लाठी प्रहार किया, जिसमें लाला जी को भी काफी चोट आई और वहउनकी फिरमृत्यु बिस्तरहो गई। ब्रिटिश सरकार ने [[लंदन]] में [[गोलमेज सम्मेलन]] आयोजित करके हिंदू, मुसलमान, सिक्ख आदि सभी के प्रतिनिधियों को बुलाया। हिंदू महासभा की ओर से डॉ॰ उठधर्मवीर, सके।मुंजे, थोड़ेबैरिस्टर हीजयकर समयआदि मेंसम्मिलित हुए। हिंदू महासभा ने [[लाहौरसिंध प्रांत]] मेंको उनकाबंबई स्वर्गवाससे होअलग करने का भी विरोध गया।किया।
== साइमन कमीशन और हिंदू महासभा ==
जब अंग्रेजों का [[साइमन कमीशन]], रिफार्म ऐक्ट में सुधार के लिए भारत आया, तो हिंदू महासभा ने भी कांग्रेस के कहने पर इसका बहिष्कार किया। [[लाहौर]] में हिंदू महासभा के अध्यक्ष [[लाला लाजपत राय]] हिंदू महासभा के हजारों स्वयंसेवकों के साथ काले झंडे लेकर कमीशन के बहिष्कार के लिए एकत्र हुए। पुलिस ने बहुत ही निर्दयता से लाठी प्रहार किया, जिसमें लाला जी को भी काफी चोट आई और वह फिर बिस्तर से न उठ सके। थोड़े ही समय में [[लाहौर]] में उनका स्वर्गवास हो गया।
 
ब्रिटिश सरकार ने [[लंदन]] में गोलमेज सम्मेलन आयोजित करके हिंदू, मुसलमान, सिक्ख आदि सभी के प्रतिनिधियों को बुलाया। हिंदू महासभा की ओर से डॉ॰ धर्मवीर, मुंजे, बैरिस्टर जयकर आदि सम्मिलित हुए। गांधी जी ने लंदन [[गोलमेज सम्मेलन]] में पुन: मुस्लिम सहयोग प्राप्त करने के लिए मुसलमानों को कोरा चेक दे दिया, परंतु फिर भी सौदेबाज में वह अंग्रेजों से जीत न सके। अंग्रेजों ने अपनी ओर से सांप्रदायिक निर्णय देकर हिंदुओं के अधिकार घटाकर मुसलमानों के अधिकार और अधिक बढ़ा दिए। हिंदूमहासभा ने इसका तीव्र विरोध किया। सन् 1929 से लेकर सन् 1936 तक श्री रामानंद चटर्जी तथा केलकर आदि अध्यक्ष होते हुए भी वस्तुत: [[भाई परमानंद]] जी तथा डॉ॰ मुंजे ही हिंदू सभा की बागडोर चलाते रहे। डॉ॰ मुंजे ने नासिक में हिंदुओं को सैनिक शिक्षा देने के लिए भोसला मिलिट्री कालेज की भी स्थापना की। हिंदू महासभा ने सिंध प्रांत को बंबई से अलग करने का भी तीव्र विरोध किया।
 
== वीर सावरकर का आगमन ==