"तमिल साहित्य": अवतरणों में अंतर
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दक्षिण भारत के प्राचीन इतिहास के लिये संगम साहित्य की उपयोगिता अनन्य है। इस साहित्य में उस समय के तीन राजवंशों का उल्लेख मिलता है : [[चोल राजवंश|चोल]] , [[चेर राजवंश|चेर]] और [[पाण्ड्य राजवंश|पाण्ड्य]]। संगम तमिल कवियों का संघ था जो पाण्ड्य शासको के संरक्षण में हुए थे। कुल तीन संगमों का जिक्र हुआ है।प्रथम संगम [[मदुरा]] में [[अगस्त्य ऋषि]] के अध्यक्षता में हुआ था।
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तमिल साहित्य में संगम काल के पश्चात अगला महत्वपूर्ण काल आलवारों औ्र नयनारों द्वारा रचे गए भक्ति साहित्य का है। नैनारों की संख्या चार थी। ये शैव भक्त थे। आलवार १२ थे। ये विष्णु भक्त थे।
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