"रक्षासूत्र": अवतरणों में अंतर

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अर्थात् इस प्रकार विधिपूर्वक जिसके रक्षाबंधन किया जाता है वह संपूर्ण दोषों से दूर रहकर संपूर्ण वर्ष सुखी रहता है। रक्षाबंधन में मूलत: दो भावनाएं काम करती रही हैं। प्रथम जिस व्यक्ति के रक्षाबंधन किया जाता है उसकी कल्याण कामना और दूसरे रक्षाबंधन करने वाले के प्रति स्नेह भावना। इस प्रकार रक्षाबंधन वास्तव में स्नेह, शांति और रक्षा का बंधन है। इसमें सबके सुख और कल्याण की भावना निहित है।<ref name="विधि विधान से मनाएँ रक्षाबंधन"/> सूत्र का अर्थ धागा भी होता है और सिद्धांत या मंत्र भी। पुराणों में देवताओं या ऋषियों द्वारा जिस रक्षासूत्र बांधने की बात की गई हैं वह धागे की बजाय कोई मंत्र या गुप्त सूत्र भी हो सकता है। धागा केवल उसका प्रतीक है।<ref>{{cite web |url= http://210.210.18.241/dharam/default1.asp?foldername=20040828&sid=1|title= आया राखी को त्योहार|accessmonthday=[[24 अगस्त]]|accessyear=[[2007]]|format= एएसपी|publisher=अमर उजाला|language=}}</ref> रक्षासूत्र बाँधते समय एक श्लोक और पढ़ा जाता है जो इस प्रकार है-
 
'''ओम यदाबध्नन्दाक्षायणा हिरण्यं, शतानीकाय सुमनस्यमाना:। तन्मSआबध्नामि शतशारदाय, आयुष्मांजरदृष्टिर्यथासम्।।''' <ref>https://timesofindia.indiatimes.com/life-style/fashion/buzz/Western-styles-merge-with-Indian-trends/articleshow/44784544.cms</ref>
 
== तरह तरह की राखियाँ ==