"दुर्वासा ऋषि": अवतरणों में अंतर

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ब्रज मण्डल के अंतर्गत प्रमुख बारह वनों में से लोहवनके अंतर्गत यमुना के किनारे मथुरा में दुर्वासाजी का अत्यन्त प्राचीन आश्रम है। यह महर्षि दुर्वासा की सिद्ध तपस्या स्थली एवं तीनों युगों का प्रसिद्ध आश्रम है। [[भारत]] के समस्त भागों से लोग इस आश्रम का दर्शन करने और तरह-तरह की लौकिक कामनाओं की पूर्ति करने के लिए आते हैं।
 
ऋषि दुर्वासा के बारे में ऊपर लेखक द्वारा यह लिखना की वे सतयुग त्रेता और द्वापर तीनों युगों में प्रसिद्ध थे बहूत ही आश्चर्य जनक लगता है यंहा अन्य लेखों में जब युगों के बारे में लिखा जाता है तो एक ही युग लाखों साल का बताया जाता है इन तीन युगों में एक ही युग 16लाख साल का बताया गय़ा है इतनी बड़ी उम्र धरती पर पैदा होंने वाले गुस्सैल ऋषि की कैसे हो सकती है
 
एक अन्य जगह पर कपिल मुनि के बारे में लिखा था की कपिल मुनि ईसा से 700वर्ष पूर्व जन्मे थे कपिल मुनि इन्हीं दुर्वासा के पड़दादा थे अब पोता लाखों साल पहले पैदा हो गया और पड़दादा आज़ से 2700वर्ष पूर्व ।
 
दुर्वासा ऋषि परशुराम के समकालीन थे ये दोनों लोग ब्रह्ममा जी के पुत्रों के वंशज थे ब्रह्ममा जी सामान्य मनुष्य वर्षों के हिसाब से आज़ से 12665 साल पहले जन्मे थे और अगर पुराणों में लिखी असामान्य घटनाओं के हिसाब से ब्रह्ममा जी का जन्म की गणना की जाय तो 17हजार साल बैठती है ब्रह्ममा जी के जन्म के हिसाब से ये दोनों ऋषि का जन्म 1500वर्ष बाद हुआ था और ये दोनों ऋषि अभी भी जिंदा है मरे नही है क्योंकि इनके मरने का कोई उल्लेख नही है
 
== इन्हें भी देखें ==