"ठंडा गोश्त": अवतरणों में अंतर

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== कहानी ==
यह कहानी 1947 के साम्प्रदायिक दंगों से सम्बंधित है।<ref>{{cite web|title=Manto’s two set of stories about the Partition|url=http://www.urduacademy2012.ghazali.net/html/saadat_hassan_manto3.html|publisher=urduacademy2012.ghazali.net|accessdate=जून 25, 2013}}</ref> कहानी का मुख्य नायक ईश्वर सिंह है जो कि सिख है। वह कुलवन्त नामक महिला के साथ अवैवाहित सम्बंध बनाए रखता है। मंटो कहानी का विस्तृत वर्णन करते हुए बताते हैं कि लाख कोशिश करके भी वह कुलवन्त को संभोग के दौरान कभी संतुष्ट नहीं कर सका। कुलवन्त इससे काफ़ी परेशान, विचलित और क्रोधित थी। उसे शंका है कि ईश्वर किसी और महिला के प्यार में दिल खो बैठा है। ऐसे ही जलन के कड़े भाव में आकर वह ईश्वर को खंजर घोंप देती है। मरते-मरते ईश्वर यह स्वीकार करता है कि वह अपने गाँव में फूटने वाले दंगों का भाग रहा है। उसने एक मुसलमान परिवार को अपनी तलवार से हमेशा की नींद सुला दिया था। इसी परिवार की एक लड़की का उसने अपहरण और बलात्कार किया था जो दरअसल मृत थी। यह घटना ईश्वर के आगे के जीवन पर अपनी गहरी छाप छोड़ती है और इसी से यह शीर्षक "ठंडा गोश्त" (शीत मांस) निकलता है। <ref>http://www.newyorker.com/online/blogs/books/2012/08/the-seer-of-pakistan.html</ref>
 
==सन्दर्भ==