"कोदो": अवतरणों में अंतर
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कभी कभी इसके खेत में 'अगिया' नाम की घास उत्पन्न हो जाती है जो इसके पौधों को जला देती है। यदि इसकी कटाई से कुछ पहले बदली हो जाय, तो इसके चावलों में एक प्रकार का [[विष]] आ जाता है। [[आयुर्वेद|वैद्यक]] के मत से यह मधुर, तिक्त, रूखा, कफ और पित्तनाशक होता है। नया कोदो कुरु पाक होता है, फोडे़ के रोगी को इसका पथ्य दिया जाता है।
[[File:Kodo Millet in Chhattisgarh.jpg|thumb|कोदो के दाने]]
कोदो के दानों को चावल के रूप में खाया जाता है और स्थानीय बोली में 'भगर के चावल' के नाम पर इसे उपवास में भी खाया जाता है। इसके दाने में 8.3 प्रतिशत [[प्रोटीन]], 1.4 प्रतिशत [[वसा]] तथा 65.9 प्रतिशत [[कार्बोहाइड्रेट]] पाई जाती है। कोदो-कुटकी [[मधुमेह]] नियन्त्रण, [[यकृत]] (गुर्दों) और [[मूत्राशय]] के लिए लाभकारी है।▼
कोदो के दानों को चावल के रूप में खाया जाता है और स्थानीय बोली में 'भगर के चावल' के नाम पर इसे उपवास में भी खाया जाता है।
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== इन्हें भी देखें ==
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== बाहरी कड़ियाँ ==
{{commons cat|Paspalum scrobiculatum|कोदो}}
*[http://krishiguru2013.blogspot.in/2017/04/blog-post_3.html सृष्टि की प्रथम खाद्यान्न फसल कोदों से ऐसे लें भरपूर उत्पादन]
*[http://upagripardarshi.gov.in/StaticPages/KharifKodo-hi.aspx कोदों]
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