"फ़िरोज़ाबाद": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
फ़िरोज़ाबाद का पुराना नाम चंदवार बताया जाता है,उस समय चंद्रवार के राजा चन्द्रसेन जो जैन धर्म के अनुयायी थे हुआ करते थे,फ़िरोज़ाबाद की भगवान् चन्दपरभी स्फटिक मणि की प्रतिमा विश्व की सबसे बड़ी स्फटिक मणि की प्रतिमा है जो की राजा चन्द्रसेन के समय में प्राप्त हुयी थी उस चंदाप्रभु भगवान् की  प्रतिमा के कारन और राजा चन्द्रसेन के नाम के कारन उस समय चंद्रवार का नाम पड़ा,आज भी फ़िरोज़ाबाद के चदरवार नगर जो यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है पर राजा चन्द्रसेन का खंडहर हुआ पुराना किले के अवशेष और प्राचीन जैन मंदिर मौजूद है यहाँ पसीने वाले हनुमान जी का मदिर और एक पुराना शिव मंदिर भी है वर्तमान नाम अकबर के समय में मनसबदार फ़िरोज़शाह द्वारा 1566 में दिया गया।<ref>http://firozabad.nic.in/District_History.html</ref>
चंदवार (या चंदावर) में चौहान वंश के  राजा जयचंदचन्द्रसेन और मुहम्मद ग़ोरी के बीच 1194 ई। में [[चंदावर का युद्ध|युद्ध]] लड़ा गया जिसमें जयचंदराजा चन्द्रसेन की हार और मृत्यु हुई फ़िरोज़ाबाद  का प्राचीन नाम चंदवार  नगर था। फ़िरोज़ाबाद  का नाम अकबर के शासन में फिरोज शाह मनसब दार  द्वारा 1566 में दिया गया था। कहते हैं कि राजा टोडरमल गया से तीर्थ यात्रा कर के इस शहर के माध्यम से लौट रहे थे ,तब उन्हें लुटेरो ने लूट लिया|उनके  अनुरोध पर, अकबर महान ने मनसबदार  फिरोज शाह को यहा भेजा|  फिरोज शाह दतौजि, रसूलपुर,मोहम्मदपुर       गजमलपुर ,सुखमलपुर निज़ामाबाद, प्रेमपुर रैपुरा के आस-पास उतरा|फिरोज शाह का मकबरा और कतरा पठनं  के खंडहर  इस तथ्य का सबूत है|
 
ईस्ट इंडिया कंपनी से सम्बंदित एक व्यापारी पीटर ने 9 अगस्त 1632 में  यहाँ का  दौरा किया और शहर को अच्छी हालत में पाया|यह आगरा और मथुरा की विवरणिका में लिखा है की फ़िरोज़ाबाद  को एक परगना के रूप में उन्नत किया गया था|शाहजहां के शाशन में नबाब  सादुल्ला को फ़िरोज़ाबाद जागीर के रूप में प्रदान किया गया|Jahangir  ने 1605 से 1627 तक शाशन किया|इटावा, बदायूं मैनपुरी, फ़िरोज़ाबाद  सम्राट फर्रुखसियर  के  प्रथम श्रेणी मनसबदार के अंतर्गत थे।