"मित्रता": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो 2405:204:A60E:D98D:0:0:29D2:50AD (Talk) के संपादनों को हटाकर हिंदुस्थान वासी के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 8:
== मित्र चयन ==
हिंदी के आलोचक [[रामचंद्र शुक्ल]] मित्रों के चुनाव को सचेत कर्म बताते हुए लिखते हैं कि - "हमें ऐसे ही मित्रों की खोज में रहना चाहिए जिनमें हमसे अधिक आत्मबल हो। हमें उनका पल्ला उसी तरह पकड़ना चाहिए जिस तरह सुग्रीव ने राम का पल्ला पकड़ा था। मित्र हों तो प्रतिष्ठित और शुद्ध ह्रदय के हों। मृदुल और पुरूषार्थी हों, शिष्ट और सत्यनिष्ठ हों, जिससे हम अपने को उनके भरोसे पर छोड़ सकें और यह विश्वास कर सके कि उनसे किसी प्रकार का धोखा न होगा।" <ref> रामचंद्र शुक्ल- चिंतामणी </ref>
 
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
[[श्रेणी:सामूहिक प्रक्रियाएँ]]
[[श्रेणी:व्यावहारिक मनोविज्ञान]]
[[श्रेणी:अन्तरवैयक्तिक सम्बन्ध]]