"राव जोधा": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
मेवाड़ का शासन कार्य भी इनकी सहमति से चलता था अतः मेवाड़ के कुछ सरदार इनसे अप्रसन थे और इन्होने मेवाड़ नरेश [[महाराणा कुम्भा]] व उनकी माता सोभाग्य देवी को राव रिदमलरणमल जी के विरुध बहका दिया |वि॰सं॰ 1495 में एक साजिश के तहत गहरी निंद में सोये राव रिदमलरणमल को मर डाला गया व रावत चुडा लाखावत सिसोदिये के नेत्रत्व में मेवाड़ की सेना मंडोर पर आक्रमण कर मारवाड़ राज्य पर अधिकार जमा लिया |अपने पिता के निधन के साथ ही राव जोधा का पेतर्क राज्य भी हाथ से निकल गया, लेकिन राव जोधा ने यह कभी नहीं भुला की धरती वीरों की वधु होती है और युद्ध क्षत्रिय का व्यवसाय |
 
वसुन्धरा वीरा रि वधु, वीर तीको ही बिन्द |