"जाली नोट (1960 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर
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दिनेश कुंवर विजय बहादुर के भेस में होटल शंग्री-ला में एक कमरा किराए में लेता है। एक हत्या की तफ़्तीश के सिलसिले में रेनु भी बीना नाम से उसी होटल में रहने आती है और दोनों में आपस में प्यार होने लगता है। होटल का मॅनेजर दिनेश की मुलाक़ात मनोहर ([[मदन पुरी]]) तथा कई अन्य अपराधियों से कराता है। दिनेश रेनु के सामने कुछ ऐसी हरकतें करता है कि रेनु को उस पर शक़ होने लगता है और दिनेश रेनु के द्वारा अपने आप को गिरफ्तार करवा लेता है और जेल में बनवारीलाल की ही कोठरी में बंद करवा लेता है। दोनों दिनेश के बनाए हुए प्लान के मुताबिक़ जेल तोड़कर भागने में कामयाब हो जाते हैं और दिनेश बनवारीलाल से कहकर बनवारीलाल के ठिकाने में मनोहर और बाकी के गिरोह को भी बुलवा लेता है। इसी बीच रेनु का पर्दाफ़ाश हो जाता है और मनोहर उसे अगवा करके उसी ठिकाने में ले आता है। दिनेश रेनु को सब सच बता देता है। दिनेश का भी पर्दाफ़ाश हो जाता है और उसको पता चलता है कि मोगरा टापू के किले में ही दरअसल इस गिरोह का नकली नोट छापने का कारख़ाना है और राय बहादुर ही नक़ली नोट बनाने वाले गिरोह का सरगना है। राय बहादुर अपने साथियों को दिनेश को एक कमरे में बंद करके आग लगाने का आदेश देता है। राय बहादुर से झड़प के दौरान दिनेश की चेन राय बहादुर के हाथ में आ जाती है। चेन देखकर राय बहादुर को याद आ जाता है कि दिनेश उसी का बेटा है। वह दिनेश को बचाने के लिए जाता है लेकिन तभी बनवारीलाल और अन्य लोग वहाँ आ जाते हैं। दिनेश को बचाने के चक्कर में एक गोली राय बहादुर को लग जाती है और अस्पताल में उसकी मृत्यु हो जाती है। इसी बीच गिरोह के सारे सदस्य पुलिस द्वारा पकड़ लिए जाते हैं।
== मुख्य कलाकार ==
* [[देव आनन्द]] - इंस्पेक्टर दिनेश
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* [[ओम प्रकाश]] - पांडु
* [[मदन पुरी]] - मनोहर
== संगीत ==
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== बाहरी कड़ियाँ ==
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