"इथेनॉल": अवतरणों में अंतर

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साधारणत: पेय ऐल्कोहल पर भारी कर लगाया जाता है। उद्योगविस्तार के लिए औद्योगिक ऐल्कोहल का सस्ता मिलना आवश्यक है। इसलिए उसपर कर या तो नहीं लगता है या बहुत कम। लोग उसे पी सकें, इस उद्देश्य से प्रत्येक देश में करमुक्त ऐल्कोहल में कुछ ऐसे विषैले और अस्वास्थ्यकर पदार्थों को मिलाते हैं जिससे वह अपेय हो जाए किंतु अन्य कार्यों अनुपयुक्त न होने पाए। अधिकांश देशें में रेक्टिफ़ायड स्पिरिट में ५ से १० प्रतिशत तक मेथिल ऐल्कोहल और ०.५% पिरीडीन मिला देते हैं और उसे मेथिलेटेड स्पिरिट कहते हैं। मेथिल ऐल्कोहल के कारण ही मेथिलेटेड स्पिरिट नाम पड़ा है। किंतु आजकल बहुत से विकृत ऐल्कोहलों में मेथिल ऐल्कोहल बिल्कुल नहीं रहता। भारत में विकृत स्पिरिट में साधारणत: ०.५% पिरीडीन और ०.५% पतला रबर स्राव रहता है।
 
[[चित्|right|thumb|300px|तरह-तरह के अल्कोहली पेय]]
सभी प्रकार की मदिरा में एथिल ऐल्कोहल होता है। कुछ प्रचलित आसुत (डिस्टिल्ड) मदिराओं के नाम [[ह्विस्की]], [[ब्रांडी]], [[रम]] [[जिन]] और [[बॉडका]] हैं। इनको क्रमानुसार [[जौ]], [[अंगूर]], [[शीरा]], [[मकई]] और [[नीवारिका]] से बनाते हैं और इनमें ऐल्कोहल क्रमानुसार ४०, ४०, ४०, ३५-४० और ४५ प्रतिशत होता है। वियर, वाइन, शैपेन, पोर्ट, शेरी और साइडर कुछ मुख्य निरासुत मदिराएँ हैं; वियर जौ से तथा और सब दूसरी सब अंगूर से बनाई जाती हैं; इनमें ऐल्कोहल की मात्रा ३ से २० प्रतिशत तक होती है।