"बदायूँ": अवतरणों में अंतर

→‎इतिहास: बदायूं। भगवान महात्मा बुद्घ और सम्राट अशोक की भूमि रहे बदायूं में प्राचीन और ऐतिहासिक स्थलों की उपेक्षा पर पुरातत्ववेत्ता भी दुखी हैं। इतिहासकार पहले से ही मानते हैं कि बदायूं का इतिहास करीब 2500 साल पुराना है। कहा यह भी जाता है कि भगवान बुध्द यहां आ चुके हैं। बाद में बदायूं सम्राट अशोक के राजवंश का हिस्सा भी रहा। कुशीनगर के बुद्घा स्टडी सेंटर के प्राचीन इतिहास पुरातत्व एवं सांस्कृतिक इतिहास के प्रोफेसर वीरेंद कुमार ने यह दावा किया है। बुद्घ पूर्णिमा के मौके पर बदायूं में हुए आयो...
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== इतिहास ==
बुडुन भारत में बहुत होली जगह है। प्रो। गोटी जॉन के मुताबिक इस शहर को एक प्राचीन शिलालेख (पत्थर लेखन,) में बेदामोथ नाम दिया गया था जो अब लखनऊ संग्रहालय में है। उस अवधि में इस देश को पंचल के रूप में जाना जाता था। उस स्टोन लूपअप की एक पंक्ति के अनुसार वहां एक गांव "भदाणलाक" था। मुस्लिम इतिहासकार श्री रोज खान लोढ़ी ने कहा कि राजा अशोक ने एक बौद्ध विहार और किला बनाया और उन्होंने इसे बौद्धमा नाम दिया। भौगोलिक दृष्टि से बुडुन सिटी पवित्र नदी गंगा के पास स्थित है, 28 डिग्री 02 मिनट 30 सेकंड पूर्व और रेखांश 79 डिग्री 01 मिनट 20 ग्लोब पर दूसरा उत्तर। जिले की लंबाई 144 किलोमीटर है। और चौड़ाई 60 किलोमीटर है। और जिले का कुल क्षेत्रफल 4234 वर्ग है। किमी। बुडुन सिटी 235 किमी है। दिल्ली से और 311 किमी। लखनऊ से बुडाउन की औसत ऊंचाई 16 9 मीटर (554 फीट) है।
नीलकंठ महादेव का प्रसिद्ध मन्दिर, शायद लखनपाल का बनवाया हुआ था। ताजुलमासिर के लेखक ने बदायूँ पर कुतुबुद्दीन ऐबक के आक्रमण का वर्णन करते हुए इस नगर को हिन्द के प्रमुख नगरों में माना है। बदायूँ के स्मारकों में जामा मस्जिद भारत की मध्य युगीन इमारतों में शायद सबसे विशाल है इसका निर्माता इल्तुतमिश था, जिसने इसे गद्दी पर बैठने के बारह वर्ष पश्चात अर्थात 1222 ई. में बनवाया था।