"अंतरराष्‍ट्रीय न्यायालय": अवतरणों में अंतर

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'''अंतरराष्‍ट्रीय न्यायालय''' [[संयुक्त राष्ट्र]] का प्रधान न्यायिक अंग है और इस संघ के पांच मुख्य अंगों में से एक है। इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्रसंघ के घोषणा पत्र के अंतर्गत हुई है। इसका उद्घाटन अधिवेशन 18 अप्रैल 1946 ई. को हुआ था। इस न्यायालय ने [[अंतर्राष्ट्रीय न्याय का स्थाई न्यायालय|अंतर्राष्ट्रीय न्याय के स्थाई न्यायालय]] की जगह ले ली थी। न्यायालय [[हेग]] में स्थित है और इसका अधिवेशन छुट्टियों को छोड़ सदा चालू रहता है। न्यायालय के प्रशासन व्यय का भार संयुक्त राष्ट्रसंघ पर है।
 
1980 तक अंतर्राष्ट्रीय समाज इस न्यायालय का ज़्यादा प्रयोग नहीं करती थी, पर तब से अधिक देशों ने, विशेषतः विकासशील देशों ने, न्यायालय का प्रयोग करना शुरू किया है। फ़िर भी, कुछ अहम राष्ट्रों ने, जैसे कि [[संयुक्त राज्य]], अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के निर्णयों को निभाना नहीं समझा हुआ है। ऐसे देश हर निर्णय को निभाने का खुद निर्णय लेते है। आज भारत देश में बाबाआरक्षण साहबको डॉक्टरलेकर भीमरावएक अंबेडकरवर्ग केविशेष द्वाराको बनाएभारत गएसरकार संविधानद्वारा कोपीड़ित जलायाकिया जा रहाजारहा है औरभारत मनुवादमें कीन्यायालय विचारधाराके वालेआदेश लोगकी मनुस्मृतिअवेहलना जिंदाबादकी डॉक्टरजा बाबारही साहबहै डॉक्टरएवं भीमरावइस अंबेडकरकानून मुर्दाबादबनाया भारतीयगया संविधानहै मुर्दाबादजिसमे काबिना नारा लगा रहे हैं और आए दिन भारतजाँच के संसदही मेंछः भारत सरकारमहीने के द्वारालिए भारतीयजेल संविधानभेज कोदिया संशोधित करके यहां के गरीबों के अधिकारों को उनसे छीना जा रहाजाता है इसकेमैं लिए हम गरीब वर्ग विश्व अंतरराष्ट्रीयअंतरष्ट्रीय न्यायालय केसे माध्यमगुजारिश सेकरता न्यायहूँ की उम्मीदभारत करतेमें हैंजिस कितरह इससे परमानवाधिकार भारतका सरकारउलंघन कोकिया संविधानजा कीरहा सुरक्षाहै केउसे लिएस्वतः इंटरनेशनलही न्यायालयसंज्ञान द्वारामें सुझाव दियालिया जाएजाये।
 
== इतिहास ==