"शल्यपर्व": अवतरणों में अंतर

No edit summary
पंक्ति 1:
'''शल्यपर्व''' [[महाभारत]] का एक पर्व है। शल्य पर्व के अन्तर्गत २ उपपर्व है और इस पर्व में ५९ अध्याय हैं।
[[चित्र:Krishna declaring the end of Mahabharata War by blowing the Conch Shell.jpg|thumb|150px|Krishna declaring the end of Mahabharata War by blowing the Conch Shell]]
{| class="wikitable"
|-
Line 18 ⟶ 19:
|
[[कर्ण]] की मृत्यु के पश्चात [[कृपाचार्य]] द्वारा सन्धि के लिए [[दुर्योधन]] को समझाना, सेनापति पद पर [[शल्य]] का [[अभिषेक]], मद्रराज शल्य का अदभुत पराक्रम, [[युधिष्ठिर]] द्वारा शल्य और उनके भाई का वध, [[सहदेव]] द्वारा [[शकुनि]] का वध, बची हुई सेना के साथ दुर्योधन का पलायन, दुर्योधन का ह्रद में प्रवेश, व्याधों द्वारा जानकारी मिलने पर युधिष्ठिर का ह्रद पर जाना, युधिष्ठिर का दुर्योधन से संवाद, श्री[[कृष्ण]] और [[बलराम]] का भी वहाँ पहुँचना, दुर्योधन के साथ [[भीम]] का वाग्युद्ध और गदायुद्ध और दुर्योधन का धराशायी होना, क्रुद्ध बलराम को श्री कृष्ण द्वारा समझाया जाना, दुर्योधन का विलाप और सेनापति पद पर [[अश्वत्थामा]] का अभिषेक आदि वर्णित है।
[[चित्र:Krishna declaring the end of Mahabharata War by blowing the Conch Shell.jpg|thumb|150px|Krishna declaring the end of Mahabharata War by blowing the Conch Shell]]
|-
|}