"जहाँआरा बेगम": अवतरणों में अंतर
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'''<big>धन और दान</big>'''
जहाँआरा बहुत अमीर था। अपने राजद्रोह के सम्मान में, 6 फरवरी 1628, शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल, जहाँआरा की मां, 100,000
जहाँआरा को बाग-ए-जहाँआरा, बाग-ए-नूर और बाग-ए-सफा समेत कई गांवों और स्वामित्व वाले बागों से आय आवंटित की गई थी, "उनके जगीर में अचचोल, फरजाहारा और बखचोल, सफापुर के सरकार शामिल थे और दोहरह। पानीपत का परगण भी उसे दिया गया था। " जैसा ऊपर बताया गया है, उसे सूरत समृद्ध शहर भी दिया गया था।
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''<big>[यहाँ तक का आलेख जहाँआरा पर विकिपीडिया में मौजूद मूल अंग्रेजी का हिंदी अनुवाद है। —महावीर उत्तरांचली ]</big>''
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'''<big>बेटी जहाँआरा से शाहजहां के संबंध इतने विवादित क्यों थे?</big>''' ▼
'''<big>(एक अन्य प्राप्त महत्वपूर्ण आलेख)</big>'''
''<big>[रेहान फ़ज़ल बीबीसी संवाददाता की प्रस्तुति]</big>''
मुग़ल बादशाह शाहजहाँ अपनी सबसे बड़ी बेटी जहाँआरा के साथ शतरंज खेल रहे थे, तभी मुमताज़ महल के कमरे से एक हरकारा ने दौड़ते हुए आकर ख़बर दी कि मलिका मुमताज़ महल की हालत ख़राब हो चुकी है। जहांआरा दौड़ती हुई अपनी माँ के पास गईं और दौड़ते हुए लौट कर अपने पिता को ख़बर दी कि उनकी माँ की प्रसव वेदना असहनीय हो चली है और बच्चा उनके पेट से निकल ही नहीं पा रहा है।
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