"भारतेन्दु हरिश्चंद्र": अवतरणों में अंतर
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'''भारतेन्दु हरिश्चन्द्र''' ([[
भारतेन्दु बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। हिंदी [[पत्रकारिता]], [[नाटक]] और [[काव्य]] के क्षेत्र में उनका बहुमूल्य योगदान रहा। हिंदी में नाटकों का प्रारंभ भारतेन्दु हरिश्चंद्र से माना जाता है। भारतेन्दु के नाटक लिखने की शुरुआत बंगला के विद्यासुंदर (१८६७) नाटक के अनुवाद से होती है। यद्यपि नाटक उनके पहले भी लिखे जाते रहे किंतु नियमित रूप से खड़ीबोली में अनेक नाटक लिखकर भारतेन्दु ने ही हिंदी नाटक की नींव को सुदृढ़ बनाया।<ref>[http://forum.janmaanas.com/viewtopic.php?f=51&t=111 नाटक का इतिहास]। जनमानस-एक हिन्दी मंच। २ अक्टूबर २००९। अजय सिंह</ref> उन्होंने 'हरिश्चंद्र पत्रिका', 'कविवचन सुधा' और 'बाल विबोधिनी' पत्रिकाओं का संपादन भी किया। वे एक उत्कृष्ट कवि, सशक्त व्यंग्यकार, सफल नाटककार, जागरूक पत्रकार तथा ओजस्वी गद्यकार थे। इसके अलावा वे लेखक, कवि, संपादक, निबंधकार, एवं कुशल वक्ता भी थे।<ref name="जोशी">[http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/literature/remembrance/0805/07/1080507057_1.htm विलक्षण प्रतिभा के धनी भारतेन्दु]। वेबदुनिया। स्मृति जोशी</ref> भारतेन्दु जी ने मात्र ३४ वर्ष की अल्पायु में ही विशाल साहित्य की रचना की। पैंतीस वर्ष की आयु (सन् १८८५) में उन्होंने मात्रा और गुणवत्ता की दृष्टि से इतना लिखा, इतनी दिशाओं में काम किया कि उनका समूचा रचनाकर्म पथदर्शक बन गया।
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