"भारतेन्दु हरिश्चंद्र": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 27:
'''भारतेन्दु हरिश्चन्द्र''' ([[9 सितंबर]] [[1850]]-[[6 जनवरी]] [[1885]]) आधुनिक [[हिंदी साहित्य]] के पितामह कहे जाते हैं। वे हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम 'हरिश्चन्द्र' था, 'भारतेन्दु' उनकी उपाधि थी। उनका कार्यकाल युग की सन्धि पर खड़ा है। उन्होंने रीतिकाल की विकृत सामन्ती संस्कृति की पोषक वृत्तियों को छोड़कर स्वस्थ्य परम्परा की भूमि अपनाई और नवीनता के बीज बोए। हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से माना जाता है। भारतीय नवजागरण के अग्रदूत के रूप में प्रसिद्ध भारतेन्दु जी ने देश की गरीबी, पराधीनता, शासकों के अमानवीय शोषण का चित्रण को ही अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया। हिन्दी को राष्ट्र-भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में उन्होंने अपनी प्रतिभा का उपयोग किया।
 
भारतेन्दु बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। हिंदी [[पत्रकारिता]], [[नाटक]] और [[काव्य]] के क्षेत्र में उनका बहुमूल्य योगदान रहा। हिंदी में नाटकों का प्रारंभ भारतेन्दु हरिश्चंद्र से माना जाता है। भारतेन्दु के नाटक लिखने की शुरुआत बंगला के विद्यासुंदर (१८६७) नाटक के अनुवाद से होती है। यद्यपि नाटक उनके पहले भी लिखे जाते रहे किंतु नियमित रूप से खड़ीबोली में अनेक नाटक लिखकर भारतेन्दु ने ही हिंदी नाटक की नींव को सुदृढ़ बनाया।<ref>[http://forum.janmaanas.com/viewtopic.php?f=51&t=111 नाटक का इतिहास]। जनमानस-एक हिन्दी मंच। २ अक्टूबर २००९। अजय सिंह</ref> उन्होंने 'हरिश्चंद्र पत्रिकाचन्द्रिका', 'कविवचन सुधा' और 'बालबाला विबोधिनीबोधिनी' पत्रिकाओं का संपादन भी किया। वे एक उत्कृष्ट कवि, सशक्त व्यंग्यकार, सफल नाटककार, जागरूक पत्रकार तथा ओजस्वी गद्यकार थे। इसके अलावा वे लेखक, कवि, संपादक, निबंधकार, एवं कुशल वक्ता भी थे।<ref name="जोशी">[http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/literature/remembrance/0805/07/1080507057_1.htm विलक्षण प्रतिभा के धनी भारतेन्दु]। वेबदुनिया। स्मृति जोशी</ref> भारतेन्दु जी ने मात्र ३४चौंतीस वर्ष की अल्पायु में ही विशाल साहित्य की रचना की। पैंतीस वर्ष की आयु (सन् १८८५) में उन्होंने मात्रा और गुणवत्ता की दृष्टि से इतना लिखा, और इतनी दिशाओं में काम किया कि उनका समूचा रचनाकर्म पथदर्शक बन गया।
 
== जीवन परिचय ==