"घटोत्कच": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Karna, one of the Kauravas, slays the Pandavas' nephew Ghatotkacha with a weapon given to him by Indra, the king of the gods, from a manuscript of the Razmnama.jpg|thumb|Karna, one of the Kauravas, slays the Pandavas' nephew Ghatotkacha with a weapon given to him by Indra, the king of the gods, from a manuscript of the Razmnama|कर्ण घटोत्कच का वध करता हुआ]]
{{कॉमन्स श्रेणी|Ghatotkacha|घटोत्कच}}
[[लाक्षागृह]] के दहन के पश्चात सुरंग के रास्ते लाक्षागृह से निकल कर पाण्डव अपनी माता के साथ [[काम्यक वन]] के अन्दर चले गये। कई कोस चलने के कारण [[भीमसेन]] को छोड़ कर शेष लोग थकान से बेहाल हो गये और एक वट वृक्ष के नीचे लेट गये। माता कुन्ती प्यास से व्याकुल थीं इसलिये भीमसेन किसी जलाशय या सरोवर की खोज में चले गये। एक जलाशय दृष्टिगत होने पर उन्होंने पहले स्वयं जल पिया और माता तथा भाइयों को जल पिलाने के लिये लौट कर उनके पास आये। वे सभी थकान के कारण गहरी निद्रा में निमग्न हो चुके थे अतः भीम वहाँ पर पहरा देने लगे।
उस वन
इधर अपनी बहन को लौट कर आने में विलम्ब होता देख कर हिडिम्ब उस स्थान में जा पहुँचा जहाँ पर हिडिम्बा भीमसेन से वार्तालाप कर रही थी। हिडिम्बा को भीमसेन के साथ प्रेमालाप करते देखकर वह क्रोधित हो उठा और हिडिम्बा को दण्ड देने के लिये उसकी ओर झपटा। यह देख कर भीम ने उसे रोकते हुये कहा, "रे दुष्ट राक्षस! तुझे स्त्री पर हाथ उठाते लज्जा नहीं आती? यदि तू इतना ही वीर और पराक्रमी है तो मुझसे युद्ध कर।" इतना कह कर भीमसेन ताल ठोंक कर उसके साथ मल्ल युद्ध करने लगे। [[कुंती]] तथा अन्य पाण्डव की भी नींद खुल गई। वहाँ पर भीम को एक राक्षस के साथ युद्ध करते तथा एक रूपवती कन्या को खड़ी देख कर कुन्ती ने पूछा, "पुत्री! तुम कौन हो?" हिडिम्बा ने सारी बातें उन्हें बता दी।
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