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[[चित्र:East India House by Thomas Malton the Younger.jpg|right|thumb|300px|लन्दन स्थित ईस्ट इण्डिया कम्पनी का मुख्यालय (थॉमस माल्टन द्वारा चित्रित, १८०० ई)]]
'''1599''' में '''मर्चेंट एडवेंचरर्स''' नाम से विख्यात कुछ व्यापारियों ने पूर्व से व्यापार करने के उद्देश्य से '''''गवर्नर एंड कंपनी ऑफ लंदन ट्रेडिंग दू द ईस्ट इंडिया''''' नामक कंपनी की स्थापना की। कालांतर में इसी कंपनी का नाम संक्षिप्त कर के '''[https://www.govjobportal.net/ ईस्ट इंडिया कंपनी]''' कर दिया गया। '''[https://www.govjobportal.net/2018/09/historical-background-of-indian.html 31 दिंसबर 1600]''' को [[महारानी एलिजाबेथ प्रथम]] ने एक [https://www.govjobportal.net/2018/09/historical-background-of-indian.html रॉयल चार्टर] जारी कर इस कंपनी को प्रारंभ में '''15 वर्ष''' के लिये [[पूर्वी देशों]] से व्यापार करने का '''[https://www.govjobportal.net/ एकअधिकार पत्र]''' दे दिया। किंतु आगे चलकर 1609 में [[ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम]] ने कंपनी को अनिश्चितकालीन व्यापारिक एकाधिकार प्रदान किया।
'''ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी''' की स्थापना ३१ दिसम्बर १६०० ईस्वी में हुई थी। इसे यदाकदा जॉन कंपनी के नाम से भी जाना जाता था। इसे [[ब्रिटेन]] की महारानी ने [[भारत]] के साथ व्यापार करने के लिये २१ सालो तक की छूट दे दी। बाद में कम्पनी ने भारत के लगभग सभी क्षेत्रों पर अपना सैनिक तथा प्रशासनिक अधिपत्य जमा लिया। १८५८ में इसका विलय हो गया।
 
[[सन् 1608]] में इस कंपनी ने भारत के पश्चिमी तट पर [[सूरत]] में एक पैक्ट्री खोलने का निश्चित किया, तब व्यापारिक कंपनी ने [https://www.govjobportal.net/2018/09/historical-background-of-indian.html कैप्तन हॉंकिंस] ( यह फारसी भाषा का बहुत अच्छा जानकार था। तथा वह [https://www.govjobportal.net/2018/09/historical-background-of-indian.html हैक्टर नामक प्रथम व्यापारिक जहाज] का कप्तान भी था। ) को [[जहाँगीर]] के दरबार में शाही आज्ञा लेने के लिये भेजा। परिणामस्वरूप एक शाही फरमान के द्वारा ''सूरत में फैक्ट्री'' खोलने की इजजत मिल गई।
 
[https://www.govjobportal.net/2018/09/historical-background-of-indian.html 1611 में मुगल बादशाह जहाँगीर] के दरबर में अंग्रेज कैप्टन मिडल्टनो पहुँचे और व्यापार करने की अनुमति पाने में सफल हुआ। जहाँगीर में 1613 में सूरत में अंग्रेजों को स्थायी कारखाना स्थापित करने की अनुमति प्रदान की। अंग्रेज कैप्टन बेस्ट द्वारा सूरत के समीप स्वाल्ली में पूर्तगालियों के जाहाजों बेडें को पराजित कर उनके व्यापारिक एकाधिकार को भंग कर दिया।
 
सन् [[1813 के अधिनियम]] के आधार पर ईस्ट इंडिया कंपनी का [[व्यापारिक एकाधिकार]] को लगभग समाप्त कर दिया, जिसमेें भारत में [[चाय]] और [[चिन]] के [https://www.govjobportal.net/2018/09/historical-background-of-indian.html व्यापारिक एकाअधिका]र को छोड़ को बाकि सारे व्यापारिक अधिकार को समाप्त कर दिया गाय। और आगे चल कर ईस्ट इंडिया कंपनी को सन् 1858 के अधिनियम के आधार पर पूर्णतः समाप्त कर दिया गया इसके बाद भारत की शासन बिट्रेन के हाथे में चला गया इसी कारण इसके बाद के समय को [https://www.govjobportal.net/2018/09/historical-background-of-indian.html ताज का शासन] के नाम से भी जाना जाता है।
 
==इन्हें भी देखें==