"भारतेन्दु हरिश्चंद्र": अवतरणों में अंतर

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== वर्ण्य विषय ==
भारतेंदु जी की यह विशेषता रही कि जहां उन्होंने ईश्वर भक्ति आदि प्राचीन विषयों पर कविता लिखी वहां उन्होंने समाज सुधार, राष्ट्र प्रेम आदि नवीन विषयों को भी अपनाया। अतःभारतेंदु विषयकी रचनाओं में अंग्रेजी शासन का विरोध, स्वतंत्रता के अनुसारलिए उनकीउद्दाम कविताआकांक्षा श्रृंगारऔर जातीय भावबोध की झलक मिलती है। सामन्ती जकड़न में फंसे समाज में आधुनिक चेतना के प्रसार के लिए लोगों को संगठित करने का प्रयास करना उस जमाने में एक नई ही बात थी। उनके साहित्य और नवीन विचारों ने उस समय के तमाम साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों को झकझोरा और उनके इर्द-प्रधान,गिर्द भक्तिराष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रधान,प्रोत सामाजिकलेखकों समस्याका प्रधानएक ऐसा समूह बन गया जिसे [[भारतेन्दु मंडल]] के तथानाम राष्ट्रसे प्रेमजाना प्रधानजाता हैं।है।
 
विषय के अनुसार उनकी कविता शृंगार-प्रधान, भक्ति-प्रधान, सामाजिक समस्या प्रधान तथा राष्ट्र प्रेम प्रधान है।
 
'''शृंगार रस प्रधान'''
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:कै ब्रज तियगन बदन कमल की झलकत झांईं,
:कै ब्रज हरिपद परस हेतु कमला बहु आईं॥
'''प्रकृति वर्णन''' का यह उदहारण देखिये, जिसमे युमना की शोभा कितनी दर्शनीय है |-
:"''तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये |
:''झुके कूल सों जल परसन हित मनहूँ सुहाये || "सुहाये॥
 
== भाषा ==