"भारतेन्दु हरिश्चंद्र": अवतरणों में अंतर

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== भाषा ==
भारतेन्दु के समय में राजकाज और संभ्रांत वर्ग की भाषा फारसी थी। वहीं, अंग्रेजी का वर्चस्व भी बढ़ता जा रहा था। साहित्य में [[ब्रजभाषा]] का बोलबाला था। फारसी के प्रभाव वाली [[उर्दू]] भी चलन में आ गई थी। ऐसे समय में भारतेन्दु ने लोकभाषाओं और फारसी से मुक्त उर्दू के आधार पर [[खड़ी बोली]] का विकास किया। आज जो हिंदी हम लिखते-बोलते हैं, वह भारतेंदु की ही देन है। यही कारण है कि उन्हें आधुनिक हिंदी का जनक माना जाता है। केवल भाषा ही नहीं, साहित्य में उन्होंने नवीन आधुनिक चेतना का समावेश किया और साहित्य को 'जन' से जोड़ा।
 
भारतेन्दु की रचनाधर्मिता में दोहरापन दिखता है। कविता जहां वे [[ब्रज भाषा]] में लिखते रहे, वहीं उन्होंने बाकी विधाओं में सफल हाथ [[खड़ी बोली]] में आजमाया। सही मायने में कहें तो भारतेंदु आधुनिक खड़ी बोली गद्य के उन्नायक हैं।