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| मुख्य काम = साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत
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'''श्रीकांत वर्मा''' (Shrikant verma) ([[१८ नवंबर]] [[१९३१]]- [[१९८६]]) का जन्म [[बिलासपुर]] (bilaspur), [[मध्य प्रदेश]] में हुआ। वे गीतकार, कथाकार तथा समीक्षक के रूप में जाने जाते हैं। ये राजनीति से भी जुडे थे तथा [[लोकसभा]] के सदस्य रहे। [[१९५७]] में प्रकाशित भटका मेघ, [[१९६७]] में प्रकाशित मायादर्पण और दिनारम्भ, [[१९७३]] में प्रकाशित जलसाघर और [[१९८४]] में प्रकाशित मगध इनकी काव्य-कृतियाँ हैं। 'झाडियाँझाड़ी' तथा 'संवाद' इनके कहानी-संग्रह है। 'अपोलो का रथ' यात्रा वृत्तान्त है। 'बीसवीं शताब्दी के अंधेरे में' एक आलोचनात्मकसाक्षात्कार ग्रंथ है।<ref>{{cite web |url= http://www.brandbihar.com/hindi/literature/kavya/shrikant_verma.html
|title=हिन्दी के कवि श्रीकांत वर्मा|accessmonthday=[[१६ दिसंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=ब्रैंड बिहार.कॉम|language=}}</ref>
 
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उन्होंने १९७०-७१ और [[१९७८]] में आयोवा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय लेखन कार्यक्रम में भी भाग लिया था।<ref>{{cite web |url= http://pratilipi.in/shrikant-verma/|title=श्रीकांत वर्मा|accessmonthday=[[१६ दिसंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=प्रतिलिपि|language=}}</ref> तथा उन्हें [[१९७३]] में [[मध्यप्रदेश]] सरकार का 'तुलसी पुरस्कार'; [[१९८३]] में 'आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी' पुरस्कार; [[१९८०]] में 'शिखर सम्मान'; [[१९८४]] में कविता पर [[केरल]] सरकार का 'कुमार आशान' राष्ट्रीय पुरस्कार; [[१९८७]] में मगध नामक कविता संग्रह के लिये मरणोपरांत [[साहित्य अकादमी पुरस्कार]] प्रदान किए गए।
{{हिन्दी साहित्यकार (जन्म १९३१-१९४०)}}
 
== सन्दर्भ ==
<references/>