"केशवदास": अवतरणों में अंतर
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== काव्यगत विशेषताएं ==
केशव [[अलंकार सम्प्रदाय]]वादी आचार्य कवि थे। इसलिये स्वाभाविक था कि वे [[भामह]], [[उद्भट]] और [[दंडी]] आदि अलंकार सम्प्रदाय के आचार्यों का अनुसरण करते। इन्होंने अलंकारों के दो भेद माने हैं, साधारण और विशिष्ट। साधारण के अन्तर्गत वर्णन, वर्ण्य, भूमिश्री-वर्णन और राज्यश्री-वर्णन आते है जो काव्यकल्पलतावृत्ति और अलंकारशेखर पर आधारित हैं। इस तरह वे अलंकार्य और अलंकार में भेद नहीं मानते। अलंकारों के प्रति विशेष रुचि होने के
==== वर्ण्य विषय ====
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