"भौतिक चिकित्सा": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Polio physical therapy.jpg|right|thumb|300px|पोलियोग्रस्त दो बच्चों को फिजियोथिरैपी कराती हुई एक विशेषज्ञ ←   ..co co2 mnﻟﺍ ketamine .davidbadelmohsen]]
 
[[व्यायाम]] के जरिए [[मांसपेशी|मांसपेशियों]] को सक्रिय बनाकर किए जाने वाले इलाज की विधा '''भौतिक चिकित्सा''' या '''फिजियोथेरेपीफिज़ियोथेरेपी''' या 'फिजिकलफिज़िकल थेरेपी' (Physical therapy कहलाती है। चूंकि इसमें दवाइयांदवाइयाँ नहीं लेना पडतीं इसलिए इनके दुष्प्रभावों का प्रश्न ही नहीं उठता। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि फिजियोथेरेपीफिज़ियोथेरेपी तब ही अपना असर दिखाती है जब इसे समस्या दूर होतेहोने तक नियमित किया जाए।
 
अगर शरीर के किसी हिस्से में दर्द है और आप दवाइयांदवाइयाँ नहीं लेना चाहते तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। फिजियोथेरेपीफिज़ियोथेरेपी की सहायता लेने पर आप दवा का सेवन किए बिना अपनी तकलीफ दूर कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए फिजियोथेरेपिस्टफिज़ियोथेरेपिस्ट की सलाह अत्यंत आवश्यक है।
 
फिजिकलफिज़िकल थेरपी या फिसिओथेरपीफिज़िओथेरपी को पी. टी.पी॰टी॰ के नाम से भी जाना जाता हैं। फिसिओथेरपीफिज़िओथेरपी का मतलब जीवन को पहचानना और उसकी गुणवत्ता को बढना है, साथ ही साथ लोगों को उनकी शरीरिक कमियों से बाहर निकालना, निवारण, इलाज बताना और पूर्ण रूप से आत्म-निर्भर बनाना हैं। यह शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक क्षेत्र में अच्छी तरह से काम करने में मदद देता हैं। फिसिओथेरपीफिज़िओथेरपी में डाक्टर, शारीरिक चिकित्सक, मरीज, पारिवारिक लोग और दूसरे चिकित्सकोचिकित्सकों का बहुत योगदान होता हैं।
 
== परिचय ==
[[चित्र:Physical Therapists at work.jpg|right|thumb|300px|अपना काम करते हुए कुछ भौतिक चिकित्सक]]
'''भौतिक चिकित्सा''' या '''फिज़ियोथेरेपी''' या फिजिकलफिज़िकल थेरेपी (Physical therepy) एक स्वास्थ्य प्रणाली है जिसमे लोगों का परीक्षण किया जाता है एवं उपचार प्रदान किये जाते हैं ताकि वे आजीवन अधिकाधिक गतिशीलता एवं क्रियात्मकता विकसित करें और उसे बनाये रख सकें.सकें। इसके अन्तर्गत वे उपचार आते हैं जिनमे व्यक्ति की गतिशीलता आयु, चोट, बीमारी एवं वातावरण सम्बन्धी कारणों से खतरे में पड़ जाती है।
 
शारीरिक चिकित्सा का सम्बन्ध जीवन की उत्कृष्टता एवं गतिशीलता के सामर्थ्य को पहचानने एवं उसको अधिकतम करने के साथ -साथ उसका प्रोत्साहन, बचाव, उपचार, सुधार एवं पुनर्सुधार करने से है। इनमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं सामाजिक कल्याण शामिल हैं। इसके अन्तर्गत शारीरिक चिकित्सक (PT), मरीज़ /ग्राहक, अन्य स्वास्थ्य व्यवसायी, परिवार, ध्यान रखने वालों और समुदायों के मध्य संपर्क की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिसमेजिसमें शारीरिक चिकित्सक के विशिष्ट ज्ञान और कुशलताओं द्वारा गतिशीलता की क्षमता का मूल्यांकन करके, सहमति के साथ उद्देश्य निर्धारित किये जाते हैं। शारीरिक चिकित्सा या तो शारीरिक चिकित्सक (PT) या उसकी देख-रेख में एक सहायक (PTA) द्वारा की जाती है।
 
शारीरिक चिकित्सक किसी व्यक्ति के रोग का इतिहास जान कर और परीक्षण करके रोग की पहचान करने के बाद उपचार की योजना तैयार करते हैं और आवश्यक होने पर इसमें प्रयोगशाला एवं छवि (बिम्ब) परीक्षण भी सम्मिलित करवाते हैं। इस कार्य में वैद्युतिक निदानशास्त्र परीक्षण (इलेक्ट्रोडायग्नोस्टिक टेस्टिंग), उदाहरण के लिए इलेक्ट्रोमयोग्रैम्सइलेक्ट्रोमायोग्रैम्स (electromyograms) और स्नायु-चलन वेग परीक्षण (नर्व कंडक्शन वेलोसिटी टेस्टिंग) भी उपयोगी हो सकती हैं।
 
शारीरिक चिकित्सा के कुछ विशेषज्ञता क्षेत्र हैं, जैसे कार्डियोपल्मोनरी चिकित्सा (Cardiopulmonary), जराचिकित्सा (Geriatrics), स्नायु संबन्धी चिकित्सा (Neurologic), अस्थि-रोग चिकित्सा (Orthopaedic) और बालरोग चिकित्सा (Pediatrics) इत्यादि.इत्यादि। शारीरिक चिकित्सक कई प्रकार से कार्य करते हैं, जैसे, बाह्य रोगी क्लिनिक या कार्यालय, आंत्र-रोगी पुनर्वास केन्द्र, निपुण परिचर्या सुविधाएं, प्रसारित संरक्षण केन्द्र, निजी घर, शिक्षा एवं शोध केन्द्र, स्कूल, मरणासन्न रोगी आश्रम, औद्योगिक अथवा अन्य व्यावसायिक कार्यक्षेत्र, फिटनेस केन्द्र तथा खेल प्रशिक्षण सुविधाएं आदि।
 
इनकी शैक्षिक योग्यताएं देशों के अनुसार भिन्न हैं। आवश्यक शैक्षिक योग्यता कुछ देशों में मामूली व्यावहारिक शिक्षा जबकि दुसरेदूसरे देशों में परास्नातक या डॉक्टरेट की डिग्री हो सकती है।
 
== इतिहास ==
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अन्य देशों ने भी जल्दी ही इसका अनुसरण किया। ग्रेट ब्रिटेन में चार नर्सों के द्वारा 1894 में चार्टर्ड सोसईटी ऑफ़ फिज़ियोथेरेपी (Chartered Society of Physiotherapy) की स्थापना की गयी। 1913 में न्यूज़ीलैण्ड के ओटागो विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ़ फिजियोथेरेपी ने और 1914 में संयुक्त राज्य अमेरिका के पोर्टलैंड, ऑरेगोन के रीड कॉलेज ने "शारीरिक पुनर्संरचना सहयोग" में स्नातक उपाधि देना शुरू कर दिया।
 
अनुसंधानों ने शारीरिक चिकित्सा आंदोलन की गति बढ़ा दी। शारीरिक चिकित्सा का पहला शोध-पत्र संयुक्त राज्य अमरीका में 1921 में द पीटी रिव्यू में प्रकाशित हुआ। इसी वर्ष मेरी मैकमिलन ने फिज़िकल थेरपी एसोसियेशन, जिसे अब अमेरिकन फिज़िकल थेरपी एसोसियेशन (APTA) के नाम से जाना जाता है), की स्थापना की। 1924 में जॉर्जिया वार्म स्प्रिंग फाऊंडेशन ने शारीरकशारीरिक चिकित्सा को पोलियो के इलाज के रूप में प्रस्तुत करके इसे और प्रोन्नत किया।
 
1940 के दशक के उपचार माध्यमों में मुख्य रूप से व्यायाम, मालिश और कर्षण का प्रयोग होता था। रीढ़ की हड्डी और अग्र-भाग के जोड़ों का अवस्था-अनुसार इलाज 1950 के दशक के शुरुआती वर्षों में, विशेष रूप से ब्रिटिश कामनवेल्थ देशों में प्रारम्भ हो गया था। इसी दशक के बाद के वर्षों में, शारीरिक चिकित्सक ने अपनी अस्पताल की सेवाओं से आगे बढ़ कर बाह्य-रोगी अस्थि-रोग क्लिनिक, सरकारी स्कूल, महाविद्यालय/विश्वविद्यालय, वृद्धों के लिए विशिष्ट परिचर्या सुविधाएं, पुनर्वास केन्द्र, अस्पताल और चिकित्सा केन्द्रों में भी अपनी सेवाएं प्रदान करना प्रारम्भ कर दिया।
 
शारीरिक शिक्षा में विशेषज्ञता 1974 में संयुक्त राज्य में प्रारम्भ हुई जब APTA ने उन शारीरिक चिकित्सकों, जो अस्थि-विज्ञान में दक्षता हासिल करना चाहते थे, उनके लिए अस्थि-विज्ञान विभाग की स्थापना की। इसी साल इंटरनेशनल फेडेरेशन ऑफ़ ऑर्थोपेडिक मेनुपुलेटिव थेरेपी (International Federation of Orthopaedic Manipulative Therapy) की स्थापना की गयी और इसने तब से अब तक इस पद्धति की उन्नति में विशिष्ट भूमिका निभाई.निभाई।
 
== शिक्षा ==