"समराङ्गणसूत्रधार": अवतरणों में अंतर

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:मरुद्‌ बीजत्वमायाति यंत्रेषु जलजन्मसु॥ समरांगण-३१
 
पानी को संग्रहित किया जाए, उसे प्रभावित और पुन: क्रिया हेतु उपयोग किया जाए, यह मार्ग है जिससे बल का शक्ति के रूप में उपयोग किया जाता है। इसकी प्रक्रिया का विस्विस्तार से इसी अध्याय में वर्णन है।
 
==संरचना==