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{{सन्दूक ऋग्वेद}}
'''ऋग्वेद के रचना का ठीक ठीक अनुमान एक कठिन कार्य है जो ग्रन्थ / मन्त्र निरन्तर ध्यान मग्न रहने वाले ऋषियों के मुख से उच्चरित हुए वे सृष्टि के प्रारम्भ थे अंग्रेज उस समय बर्बर थे रचना काल के ईसा पूर्व १५०० मानना अनुचित होगा सृष्टि का प्रारम्भ कहें तो कुछ ठीक माना जा सकता है।'''
'''ऋग्वेद''' [[सनातन धर्म]] का सबसे आरंभिक स्रोत है। इसमें १०२८ सूक्त हैं, जिनमें [[देवता|देवताओं]] की [[स्तुति]] की गयी है इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं, यही सर्वप्रथम वेद है। ऋग्वेद को इतिहासकार [[हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार]] की अभी तक उपलब्ध पहली रचनाऔं में एक मानते हैं। यह संसार के उन सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है जिसकी किसी रूप में मान्यता आज तक समाज में बनी हुई है। यह एक प्रमुख हिन्दू धर्म ग्रंथ है।
 
'''वेद ईश्वर के मुख से निकले हुए वचन हैं ।'''
 
'''ऋग्वेदसंशोधन कर्ता -डा. श्रीमन्नारायण तिवारी''' [[सनातन धर्म]] का सबसे आरंभिक स्रोत है। इसमें १०२८ सूक्त हैं, जिनमें [[देवता|देवताओं]] की [[स्तुति]] की गयी है इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं, यही सर्वप्रथम वेद है। ऋग्वेद को इतिहासकार [[हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार]] की अभी तक उपलब्ध पहली रचनाऔं में एक मानते हैं। यह संसार के उन सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है जिसकी किसी रूप में मान्यता आज तक समाज में बनी हुई है। यह एक प्रमुख हिन्दू धर्म ग्रंथ है।
[[ऋक् संहिता]] में १० मंडल, बालखिल्य सहित १०२८ सूक्त हैं। वेद मंत्रों के समूह को सूक्त कहा जाता है, जिसमें एकदैवत्व तथा एकार्थ का ही प्रतिपादन रहता है। ऋग्वेद में ही मृत्युनिवारक त्र्यम्बक-मंत्र या [[मृत्युंजय मन्त्र]] (७/५९/१२) वर्णित है, ऋग्विधान के अनुसार इस मंत्र के जप के साथ विधिवत व्रत तथा हवन करने से दीर्घ आयु प्राप्त होती है तथा मृत्यु दूर हो कर सब प्रकार का सुख प्राप्त होता है। विश्व-विख्यात [[गायत्री मन्त्र]] (ऋ० ३/६२/१०) भी इसी में वर्णित है। ऋग्वेद में अनेक प्रकार के लोकोपयोगी-सूक्त, तत्त्वज्ञान-सूक्त, संस्कार-सुक्त उदाहरणतः रोग निवारक-सूक्त (ऋ०१०/१३७/१-७), [[श्री सूक्त]] या लक्ष्मी सूक्त (ऋग्वेद के परिशिष्ट सूक्त के खिलसूक्त में), तत्त्वज्ञान के [[नासदीय-सूक्त]] (ऋ० १०/१२९/१-७) तथा [[हिरण्यगर्भ सूक्त]] (ऋ०१०/१२१/१-१०) और [[विवाह]] आदि के सूक्त (ऋ० १०/८५/१-४७) वर्णित हैं, जिनमें ज्ञान विज्ञान का चरमोत्कर्ष दिखलाई देता है।