"उर्मिला (रामायण)": अवतरणों में अंतर

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''तिरछे अक्षर''{{पात्र ज्ञानसन्दूक}}
'''उर्मिला''' हिंदू महाकाव्य [[रामायण]] में एक चरित्र है। वह जनकपुर के राजा [[जनक]] की बेटी और उनकी माता रानी [[ सुनयना ]] की और [[ सीता ]] उनकी बड़ी बहन थीं। वह [[ राम ]] के अनुज [[लक्ष्मण]] की पत्नी थीं। लक्ष्मण और उर्मिला के दो पुत्र थे जिनका नाम थे - अंगद और चन्द्रकेतु । अंगद ने अंगदीया पुरी तथा चन्द्रकेतु ने चन्द्रकांता पुरी की स्थापना की थी। जब राम सीता वनवास को जाने लगे और बड़े आग्रह पर लक्ष्मण को भी साथ जाने की आज्ञा हुई तो पत्नी उर्मिला ने भी उनके साथ जाने का प्रस्ताव रखा परन्तु लक्ष्मण ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि अयोध्या के राज्य को और माताओं को उनकी आवश्यकता है।
'''मोटे अक्षर'''==उर्मिला निद्रा ==
 
बताते है वनवास की पहली रात में जब भगवान राम और सीता जी उस छोटी कुटिया में विश्राम करने चले गये। तो लक्ष्मण जी कुटिया के बाहर एक प्रहरी के रुप में पहरा दे रहे थे। तभी उनके पास निद्रा देवी प्रकट हुई थी। लक्ष्मण जी निद्रा देवी से यह वरदान मांगा था। कि उन्हे 14 वर्षो तक निद्रा से मुक्त कर दें। तो निद्रा देवी ने उनकी इस इच्छा को स्वीकार करते हुए यह कहा था कि उनके हिस्से कि निद्रा को किसी न किसी को लेना ही होगा। तब लक्ष्मण जी ने निद्रा देवी से विनती की थी की उनके हिस्से की निद्रा को उनकी पत्नी उर्मिला को दे दिया जाय। कहा जाता है कि निद्रा देवी के इस वरदान के कारण लक्ष्मण जी कि पत्नी उर्मिला लगातार 14 वर्षो तक सोती रही और लक्ष्मण जी जागते रहे।
अब आप सोच में पड़ गये होंगे कि निद्रा देवी के प्रभाव में आकर अगर उर्मिला 14 साल तक सोती रहीं, तो सास और अन्य परिजनों की सेवा करने का लक्षमण को किया वादा उन्होंने कैसे पूरा किया। तो उसका उत्तर भी सीधा है। वो यह कि सीता माता ने अपना एक वरदान उर्मिला को दे दिया था। उस वरदान के अनुसार उर्मिला एक साथ तीन कार्य कर सकती थीं।
 
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==सन्दर्भ==