"मनोमिति": अवतरणों में अंतर

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== भारत में व्यक्तित्वपरीक्षण और बुद्धिपरीक्षण ==
कालक्रम की दृष्टि से भारत में व्यक्तित्वपरीक्षण की अपेक्षा बुद्धिपरीक्षणों का आरंभ पहले हुआ। विदेशी परीक्षणों का भारतीय स्थितियों के अनुकूल रूप तैयार करने का प्रयत्न सर्वप्रथम Herbertहर्बर्ट Cसीदृ Riceराइस ने सन् 1922 में लाहौर में किया। उन्होंने बुद्धिमापन के बिने स्केल पर कार्य करते हुए केवल बालकों के लिये उर्दू और पंजाबी में "हिंदुस्तानी बिने पर्फामेंन्स प्वाइंट स्केल" का निर्माण किया। बाद में सन् 1935 में बालक और बालिकाओं दोनों के लिये बंबई में V.Pवीदृ Kamathपीदृ कामथ ने मराठी और कन्नड़ में बिने स्केल की रचना की। बिने स्केल के परिमार्जन बाद में बँगला (ढाका ट्रेनिंग कालेज), हिंदुस्तानी (पटना ट्रेनिंग कॉलेज), तमिल और तेलुगू (लेडी विलिंगडन ट्रेनिंग कॉलेज, मद्रास) तथा हिंदी (गुप्ता का बिने परीक्षण, खजुआ, यू.पीयूदृ पीदृ) में भी निकले। इनके अतिरिक्त स्टैंफोर्ड परिमार्जन के अनेक अन्य अनुकूलनों का व्यवहार किया गया। इन परिमार्जनों के अतिरिक्त, इलाहाबाद के सोहनलाल ने सन् 1952 में विद्यालय में पढ़नेवाले बालकों के लिये हिंदी और उर्दू में सामूहिक बुद्धिपरीक्षण का और इलाहाबाद के ही सीसीदृ एमएमदृ भाटिया ने सन् 1945 में भारतीयों के लिये बुद्धि के क्रियात्मक (र्फ्फारमेंस) परीक्षण का निर्माण किया।
 
इलाहाबाद इंविंग क्रिश्चियन कालेज के जेदृ हेनरी ने सन् 1927 में भारतीय स्थितियों के अनुकूलन प्रथम शाब्दिक सामूहिक परीक्षण का निर्माण किया। इनका प्राइमरी क्लासिफिकेशन परीक्षण, शैक्षिक और बुद्धिपरीक्षणों का संमिश्रण था और यह हिंदी, उर्दू तथा अंग्रेजी में तैयार किया गया था। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के लज्जाशंकर झा ने सन् 1933 में रिचार्डसेन के "सिप्लेक्स मेंटल टेस्ट" का हिंदी अनुकूलन प्रकाशित किया और इसके बाद सिंप्लेक्स परीक्षण के ही आयु वर्ग के लिये टर्मन के "ग्रूप टेस्ट ऑव मेंटल एबिलिटी" पर कार्य किया। इनके बाद एसदृ जलोटा (सामूहिक शाब्दिक परीक्षण) और लाहौर के आरदृ आरदृ कुमारिया (अस्रूर सामूहिक बुद्धिपरीक्षण), लखनऊ के एलदृ केदृ शाहदृ (कालेज के विद्यार्थियों की मानसिक योग्यता के लिये सामूहिक परीक्षण), मद्रास के सीदृ टीदृ फिलिप (तामिल में मानसिक योग्यता का शाब्दिक परीक्षण), पटना के एसदृ एमदृ मोहसिन (हिंदुस्तानी सामूहिक बुद्धिपरीक्षण) आदि ने भारत में शाब्दिक सामूहिक परीक्षणों के निर्माण की दिशा में योगदान दिया है।
 
व्यक्तित्वपरीक्षण की दिशा में भारत में प्रथम प्रयास लाहौर के बीबीदृ मलमलदृ ने किया। इनकी "व्यक्तित्व प्रश्नावली" का उद्देश्य किशारों के संवेगात्मक परीक्षणों को उनकी निर्माणविधि के आधार पर तीन उपवर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है जो इस प्रकार हैं : प्रश्नावली, प्रक्षेपीय परीक्षण तथा क्रमनिर्धारण मान।
 
इस क्षेत्र में प्रश्नावली विधि का अधिकांश भारतीय मनोवैज्ञानिकों ने प्रयोग किया है। इनमें से कुछ नाम ये हैं--मैसूर के बीदृ कुप्पूस्वामी, बनारस के एसदृ जलोटा, लखनऊ के एचएचदृ एसएसदृ अस्थाना, बनारस के एमएमदृ एसएसदृ एलएलदृ सक्सेना इलाहाबाद के डीडीदृ सिनहा, इलाहाबाद की मनोविज्ञानशाखा, कलकत्ता का शैक्षणिक और मनोवैज्ञानिक अनुसंधन ब्यूरो, बिहार का शैक्षिक और व्यावसायिक निर्देशन ब्यूरो इत्यादि। वर्तमान समय में हमारे अधिकांश भारतीय विश्वविद्यालयों में प्रश्नावली विधि से व्यक्तित्वपरीक्षण की दिशा में पर्याप्त कार्य हो रहा है। भारत में व्यक्तित्व के प्रक्षेपीय परीक्षण के प्रयोग के लिये हम इलाहाबद की मनोविज्ञान शाला द्वारा च्र्ॠच्र् के अनुकूलन तथा यूयूदृ पारिख द्वारा रोजेनवीग के पिक्चर फ्रस्ट्रेशन परीक्षण का उल्लेख कर सकते हैं। अनेक भारतीय विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों द्वारा अपनी शैक्षिक आवश्यकता के लिये रोर्शा परीक्षण का सर्वाधिक प्रयोग किया जा रहा है। व्यक्तित्व परीक्षण के लिये क्रमनिर्धारण मान विधि के प्रयोगों के संबंध में श्री जमुना प्रसाद के "व्यक्तित्व अभियोजन संबंधी क्रमनिर्धारण मान" का उल्लेख किया जा सकता है।
 
== विशिष्ट मानसिक योग्यता ==