"मुअनजो-दड़ो": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 33:
[[File:Mohenjodaro bath.jpg|thumb|जल-कुंड]]
मुअनजो-दड़ो की दैव-मार्ग (डिविनिटि ) नामक गली में करीब चालीस फुट लम्बा और पच्चीस फुट चौड़ा प्रसिध्द जल कुंड है, इसकी गहराई सात फुट है। कुंड में उत्तर और दक्षिण से सीढ़ियाँ उतरती हैं। कुंड के तीन तरफ़ साधुओं के कक्ष बने हुए हैं। उत्तर में २ पाँत में ८ स्नानघर है। इस कुंड को काफ़ी समझदारी से बनाया गया है, क्योंकि इसमें किसी का द्वार दूसरे के सामने नहीं खुलता। यहाँ की ईंटें इतनी पक्की हैं, जिसका कोई ज़वाब ही नहीं। कुंड में बाहर का अशुद्ध पानी ना आए इसके लिए कुंड के तल में और दीवारों पर ईंटों के बीच चूने और चिरोडी के गारे का इस्तेमाल हुआ है। दीवारों में डामर का प्रयोग किया गया है। कुंड में पानी की व्य्वस्था के लिये दोहरे घेरे वाला कुआँ बनाया गया है। कुंड से पानी बाहर निकालने के लिए पक्की ईंटो से नालियाँ भी बनाई गयी हैं, और खास बात यह है कि इसे पक्की ईंटो से ढका गया है। इससे यह प्रमाणित होता है कि, यहाँ के लोग इतने प्राचीन होने के बावजूद भी हमसे कम नहीं थे। कुल मिलाकर सिंधु घाटी की पहचान वहाँ कि पक्की-घूमर ईंटों और ढकी हुई नालियाों से है, और यहाँ के पानी निकासी का ऐसा सुव्यवस्थित बंदोबस्त इससे पहले के इतिहास में नहीं मिलता।
==कृषि==
|