"मुअनजो-दड़ो": अवतरणों में अंतर

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==संग्रहालय==
मुअनजो-दड़ोमोहन जोदड़ो का संग्रहालय छोटा ही है। मुख्य वस्तुएँ [[कराची]], [[लाहौर]], [[दिल्ली]] और [[लंदन]] में हैं। यहाँ कालाकाले पड़ गयागए [[गेहूँ]], [[ताँबा|ताँबे]] और काँसे[[कांसी|कांसी]] के [[बर्तन]], मुहरेंमोहरें, [[वाद्य]], चाक[[चॉक]] पर बने विशाल मृद्मृद-भांड, उन पर काले-भूरे चित्र, चौपड़ की गोटियाँ, दीये, माप-तौल पत्थर, ताँबे का आईना, मिट्टी की बैलगाड़ी और दूसरे खिलौने, दो पाटन वाली चक्की, कंघी, मिट्टी के कंगन, रंग-बिरंगे पत्थरों के मनकों वाले हार और पत्थर के औज़ार।औज़ार मौजूद हैं। संग्रहालय में काम करने वाले अली नवाज़ के अनुसार यहाँ कुछ सोने के गहने भी हुआ करते थे जो चोरी हो गए।
 
एक खास बात यहॉयहाँ यह है जिसे कोई भी महसूस करेगा।कर सकता है। अजायबघर ( संग्रहालय ) में रखींरखी चीज़ों में औजार तो हैं, पर हथियार कोई नहीं है। इस बात को लेकर विद्वान सिंधु सभ्यता में शासन या सामाजिक प्रबंध के तौर-तरीके को समझने की कोशिश कर रहें हैं। वहॉवहाँ अनुशासन ज़रूर था, पर ताकत के बल पर नहीं।
 
संग्रहालय में रखी वस्तुओं में कुछ सुइयाँ भी हैं। खुदाई में ताँबे और काँसे की बहुता सारी सुइयाँ मिली थीं। काशीनाथ दीक्षित को सोने की तीन सुइयाँ मिलीं जिनमें एक दो-इंच लंबी थी। समझा गया है कि यह सूक्ष्म कशीदेकारी में काम आती होगी।होंगी। खुदाई में सुइयों के अलावा हाथीदाँतहाथी-दाँत और ताँबे केकी सुएसूइयाँ भी मिलेमिली हैं।
 
==कला==