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==प्रसिद्ध जन==
* [[अवंतीबाई]], रामगढ़ की एक लोधी रानी जिसने 1857 में अंग्रेज़ो का विरोध किया था। <ref>{{cite journal |title=Dalit 'Viranganas' and Reinvention of 1857 |first=Charu |last=Gupta |journal=Economic and Political Weekly |volume=42 |issue=19 |date=18 May 2007 |page=1742 |jstor=4419579 |subscription=yes}}</ref>
 
* [[ हृदेयशाह लोधी]],
#म्यूजियम_में_मिलीं_चिटि्ठयों_ने_खोला_राज_नागपुर_से_हुआ_था_आजादी_का_शंखनाद
 
#एमपी_के_भोपाल_स्थित_संग्रहालय_में_मिलीं_दुर्लभ_चिटि्ठयां।
 
#कैसे_अन्याय_हो_रहा_है_भारत_के_इतिहास_के_साथ
#राजा_हिरदेशाह_लोधी_जिन_के_नेतृत्व_में_1842_में_बुंदेलखंड_महाकौशल_में_भारतदेश_की_प्रथम_क्रांति_हुई
 
ऐसे महावीर राजा को हम और हमारा देश कैसे भूल गया
 
शिवपुरी- देश में अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का शंखनाद भले 1857 की क्रांति से माना जाता हो, लेकिन भोपाल स्थित मध्यप्रदेश के अभिलेखागार में ऐसी दुर्लभ चिट्ठियां मिली हैं, जिनसे खुलासा हुआ है कि नागपुर, जबलपुर और बुंदेलखंड में आजादी के क्रांतिकारियों का विद्रोह 1842 से ही शुरु हो गया था। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर संग्रहालय में लगाई जा रही प्रदर्शनी के अवसर पर उजागर हुई है ये चिट्ठियां।
 
ऐसे शुरू हुआ था विद्रोह
 
- ईस्ट इंडिया कंपनी ने पहली बार नागपुर में पैर जमाते ही दमोह, सागर और मंडला के किलों पर अधिकार कर लिया।
 
- 1820 तक क्षेत्र के अधिकांश किलो पर अधिकार के बाद अंग्रेजों ने गवर्नर जनरल के अधीन सागर नर्मदा क्षेत्र का गठन कर क्षेत्र को अपने एक एजेंट के अधीन कर दिया।
 
- इस दौरान सागर के जवाहरसिंह बुंदेला और नरहुत के मधुकरशाह अपनी संपत्ति कुर्क होने का विरोध सैन्य विद्रोह के जरिए किया।
 
- यह विद्रोह नरसिंहपुर, सागर के बाद हीरापुर के राजा हिरदेशाह के नेतृत्व में जबलपुर में भी फैला। हिरदेशाह ने क्षेत्र के सभी ठाकुरों को संगठित कर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया।
 
- 22 नवंबर 1842 को राजा हिरदेशाह को बंदी बना लिया गया। इसके बाद इस पूरे क्षेत्र में आजादी के विद्रोह 1843 तक जारी रहा।
 
क्या लिखा है चिट्टी में
 
- ये चिट्ठियां ईस्ट इंडिया कंपनी के तत्कालीन गवर्नर जनरल ने सागर डिवीजन के सैनिक प्रमुख समेत तत्कालीन जनरल को स्टीमेन को लिखी थी।
 
- 9 नवंबर 1842 को लिखी पहली चिट्ठी में जनरल ने बुंदेला विद्रोही नेताओं के चरित्र और गतिविधियों के संबंध में जानकारी मंगवाई थी, दूसरी चिट्ठी में राजा हिरदेशाह के सहयोगियों की गिरफ्तारी पर इनाम घोषित किया गया है। - एक अन्य चिट्ठी में सागर, नर्मदा क्षेत्र और बुंदेलखंड के सैनिक प्रमुख से अनुरोध किया गया है कि वे हीरापुर के राजा हिरदेशाह की खोज करें।
 
- इन चिट्ठियों के जरिए राज्य अभिलेखागार में दशकों बाद भी नागपुर, जबलपुर और बुंदेलखंड को स्वतंत्रता दिलाने में योगदान की विरासत के बतौर सहेजा जा रहा है।
 
- स्वतंत्रता आंदोलन सामान्यत: 1857 से ही माना गया है लेकिन मध्यप्रदेश में इसकी शुरुआत सबसे पहले हुई थी, इस विषय को लेकर बुंदेला विद्रोह नामक पुस्तक भी प्रकाशित हुई है।
 
- इस समय के विद्रोह के दुर्लभ प्रमाण 16 से 23 अगस्त तक राजधानी में प्रदर्शित किए जा रहे हैं।
डॉ. गीता सबरवाल, उपसंचालक राज्य अभिलेखागार
 
जबलपुर से लेखक जे पी मिश्रा ने बताया केि १८५७ की क्रांति के पहले १८४० के दौर में ही महाकौशल क्षेत्र से ही आजादी का विद्रोह शुरू हुआ था। गौंड लोधी बुंदेला राजाओं ने सबसे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी के फैसलों का विरोध किया था। इस विद्रोह के पूरे प्रमाण उपलब्ध है
जय हिंदुस्तान जय हिरदेशाह
 
सादर,
 
रामकृष्ण राजपूत पत्रकार शिवपुरी मध्य प्रदेश
 
==संदर्भ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/लोधी" से प्राप्त