"अनुवाद": अवतरणों में अंतर

स्वरूप
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=== सन्तुलन पक्ष ===
अनुवाद सिद्धान्त का 'सामान्य' पक्ष भी है और विशिष्ट पक्ष भी, और यह इसका सन्तुलनशील स्वरूप है - सामान्य और विशिष्ट का सन्तुलन। अनुवाद की परिभाषा के अनुसार कहा जाता है कि अनुवाद व्यवहारतः विशिष्ट भाषाभेद के स्तर पर तथा इसीलिए सिद्धान्ततः सामान्य भाषा के स्तर पर होता है - अंग्रेजी भाषा के एक भेद पत्रकारिता की अंग्रेजी से हिन्दी भाषा के सममूल्य भेद पत्रकारिता की हिन्दी में। तदनुसार, युगपद् रूप से अनुवाद सिद्धान्त का एक सामान्य पक्ष भी है और विशिष्ट पक्ष भी। हम जो बात सामान्य के स्तर पर कहते हैं, उसे व्यावहारिक रूप में भाषाभेद के विशिष्ट स्तर पर उदाहृत करते हैं।
 
== क्षेत्र ==
'यथासम्भव अधिकतम पाठ प्रकारों के लिए एक उपयुक्त तथा सामान्य अनुवाद प्रणाली का निर्धारण' ये अनुवाद के क्षेत्र सम्बन्धित एक विचारणीय प्रश्न माना जाता है। प्रणाली के निर्धारण के सम्बन्ध में अनुवाद प्रक्रिया की प्रकृति, अनुवाद (वस्तुतः अनुवाद कार्य) के विभिन्न प्रकार, अनुवाद के सूत्र तथा विभिन्न कोटि के पाठों के अनुवाद के निर्देश निश्चित करने के प्रारूप का निर्धारण, आदि पर विचार करना होता है। अनुवाद का मुख्य उद्देश्य, अनुवाद की इकाई, अनुवाद का कला-कौशल-विज्ञान का स्वरूप, अनुवाद कार्य की सीमाएँ, आदि कुछ अन्य विषय हैं, जिन पर विचार अपेक्षित होता है।
 
=== मूलभाषा का ज्ञान ===
 
अनुवाद कार्य का मेरुदण्ड है मूलभाषा पाठ। इसकी संरचना, इसका प्रकार, भाषाप्रकार्य प्रारूप के अनुसार मूलपाठ का स्वरूप निर्धारण, आदि के साथ शब्दार्थ-व्यवस्था एवं व्याकरणिक संरचना के विश्लेषणात्मक बोधन के विभिन्न प्रारूप, उनकी शक्तियों और सीमाओं का आकलन, आदि के सम्बन्ध में सैद्धान्तिक चर्चा तथा इनके संक्रियात्मक ढाँचे का निर्धारण, इसके अन्तर्गत आने वाले मुख्य बिन्दु हैं। अनुवाद सिद्धान्त के ही अन्तर्गत कुछ गौण बिन्दुओं की चर्चा भी होती है - रूपक, व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ, पारिभाषिक शब्द, आद्याक्षर (परिवर्णी) शब्द, भौगोलिक नाम, व्यापारिक नाम, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के नाम, सांस्कृतिक शब्द, आदि के अनुवाद के लिए कौन-सी प्रणाली अपनाई जाए; साहित्यिक रचनाओं, वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय लेखन, प्रचार साहित्य आदि के लिए अनुवाद प्रणाली का रूप क्या हो, इत्यादि।
 
=== विविध शास्त्रों का ज्ञान ===
 
इसी से सम्बन्धित एक महत्त्वपूर्ण बिन्दु है, अनुवाद की विभिन्न युक्तियाँ - लिप्यन्तरण, शब्द-प्रति-शब्द अनुवाद, शब्दानुगामी अनुवाद, आगत अनुवाद, व्याख्या, विस्तरण, सङ्क्षेपण, सांस्कृतिक पर्याय, स्वभाषीकरण आदि। अनुवाद का काम अन्ततोगत्वा एक ही व्यक्ति करता है। एकाकी अनुवाद में तो अनुवादक अकेला होता ही है, सहयोगात्मक अनुवाद में भी, अन्तिम अवधि में, सम्पादन का कार्य अनुवादक को अकेले करना होता है। अतः अनुवादक के साथ अनेक दायित्व जुड़ जाते हैं और कार्य के सफल निष्पादन में उससे अनेक अपेक्षाएं रहती हैं। भाषा ज्ञान, विषय ज्ञान, अभिव्यक्ति कौशल, व्यक्तिगत गुण आदि की दृष्टि से अनुवादक से होने वाली अपेक्षाओं पर विचार करना होता है। अनुवाद शिक्षा और अनुवाद समीक्षा, दो अन्य महत्त्वपूर्ण बिन्दु हैं।
 
=== शिक्षा ===
 
अनुवाद की शिक्षा भाषा-अधिगम के, विशेष रूप से अन्य भाषा अधिगम के, साधन के रूप में दी जा सकती है (भाषाशिक्षण की द्विभाषिक पद्धति भी इसी के अन्तर्गत है)। इसमें अनुवाद शिक्षण, भाषा-शिक्षण के अधीन है तथा एक मध्यवर्ती अल्पकालिक अभ्यासक्रम में इसकी योजना की जाती है, जिसमें शिक्षण के सोपान तथा लक्ष्य बिन्दु स्पष्ट तथा निश्चित होते हैं। इसमें शिक्षार्थी का लक्ष्य भाषा सीखना है, अनुवाद करना नहीं। शिक्षा के दूसरे चरण में अनुवाद का अभ्यास, अनुवाद को एक शिल्प या कौशल के रूप में सीखने के लिए किया जाता है, जिसकी प्रगत अवस्था 'अनुवाद कला है' की शब्दावली में निर्दिष्ट की जाती है। इस स्थिति में जो भाषा (मूलभाषा या लक्ष्यभाषा) अनुवादक की अपनी नहीं, उसके अधिगम को भी आनुषङ्गिक रूप में पुष्ट करता जाता है। अभ्यास सामग्री के रूप में पाठ प्रकारों की विविधता तथा कठिनाई की मात्रा के अनुसार पाठों का अनुस्तरण करना होता है। यदि एक सजातीय/विजातीय, स्वेदशी या विदेशी भाषा को सीखने की योजना में उससे या उसमें अनुवाद करने की क्षमता को विकसित करना एक उद्देश्य हो तो अनुवाद-शिक्षण के दोनों सोपानों - साधनपरक तथा साध्यपरक – को अनुस्तरित रूप में देखा जा सकता है।
 
=== समीक्षा ===
 
अनुवाद समीक्षा, अनुवाद सिद्धान्त का ऐसा अङ्ग है, जिसका शिथिल रूप में व्यवहार, अनूदित कृति का एक सामान्य पाठक भी करता है, परन्तु जिसकी एक पर्याप्त स्पष्ट सैद्धान्तिक पृष्ठभूमि है। सिद्धान्तपुष्ट अनुवाद समीक्षा एक ज्ञानात्मक व्यापार है। इसमें एक मूलपाठ के एक या एक से अधिक अनुवादों की समीक्षा की जाती है, तथा मूल की तुलना में अनुवाद का या मूल के विभिन्न अनुवादों का पारस्परिक तुलना द्वारा मूल्यांकन किया जाता है। इसके तीन सोपान हैं - मूलभाषा पाठ तथा लक्ष्यभाषा पाठ का विश्लेषण, दोनों की तुलना (प्रत्यक्ष तथा परोक्ष समानताओं की तालिका, और अभिव्यक्ति विच्छेदों का परिचयन), और अन्त में लक्ष्यभाषागत विशुद्धता, उपयुक्तता और स्वाभाविकता की दृष्टि से अनुवाद का मूल्यांकन। मूल्याङ्कन के सोपान पर अनुवाद की सफलता की जाँच के लिए विभिन्न परीक्षण तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।
 
== प्रकार ==