"कक्षीय संकरण": अवतरणों में अंतर

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[[रसायन विज्ञान]] में, परमाणवीय कक्षकों द्वारा नया आकार एवं ऊर्जा वाला नये कक्षक निर्मित करना '''संकरण''' कहलाता है।
 
दो कक्षको के अतिव्यापन से से बने नये कक्षको को संकरित कक्षक तथा बनने की प्रक्रिया को संकरण कहते है
{{आधार}}
[[श्रेणी:रसायन]] संकरण छ:प्रकार के होते है|
1- sp संकरण_ इसमें एक sऔर एकp कक्षक मिलकर निर्माण करते हैं| इसकी संरचना रेखीय होती है इसमें उपसहसंयोजक संख्याओं की संख्या 2 होती है|
2- SP2 संकरण- इसका निर्माण एक s और दो P कक्षक मिलकर करते हैं| इसकी संरचना त्रिकोणीय समतल होती है इसकी उप सह संयोजी की संख्या 3 होती है|
3- sP3 संकरण- इसका निर्माण एक s और 3 P कक्षक मिलकर करते हैं इसकी संरचना चतुष्फलकीय होती है इसकी उपसहसंयोजक संख्या की संख्या 4 होती है|
4- DSP2 संकरण- इसका निर्माण एक d और एक S और दो p कक्षक मिलकर करते हैं इसकी संरचना वर्ग समतलीय होती है|
5-dsp3/sp3d संकरण- इसका निर्माण एक s कक्षक ,एक d कक्षक और 3 P कक्षक मिलकर करते हैं इसकी संरचना त्रिकोणीय िदव्पीरामीडिय होती है तथा इसकी उसकी उप-सहसंयोजी संख्या 5 होती है|
6-d2sp2-संकरण-इसका निर्माण एकSऔर दो d व दो p मिलकर करते है इसकी उप-सहसंयोजी संख्या 6 होती है| इसकी संरचना अष्टफलकीय होती है|