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[[चित्र:Place of worship in a village, Udaipur district, Rajasthan, India.jpg|अंगूठाकार|[[राजस्थान]] के [[उदयपुर जिला|उदयपुर जिले]] के एक गाँव में घोड़े की पूजा का स्थल]]
ग्रामीण जनजीवन में प्रकृति की पूजा, जिसमें ग्राम देवी अथवा ग्राम देवताओं की पूजा पद्धति का प्रचलन है। ग्रामीण जनजीवन में लोग वृक्ष तालाब, मिट्टी के टीले या किसी भी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित देवस्थान में अपने अपने ग्राम देवताओं का पूजन करते है, प्रत्येक गाँव के ग्राम देवता उनकी अपनी स्थानीय बोली में उनका नामकरण होता है.<ref>[http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE_%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%BE_/_%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%A8_%E0%A4%AA%E0%A4%82%E0%A4%A4 हे ग्राम देवता]</ref><ref>[http://badalav.com/gram-devta-deena-bhadri-aur-salhes/ गांवों के अपने देव- गोरैया बाबा, दीना भदरी और सल्हेस ]</ref>
 
भारत के गाँवों में ग्राम देवताओं के अतिरिक्त ग्राम देवियों का भी पूजन होता है जैसे [[सती माता|सती माई]], [[काली|काली माई]] ,[[दुर्गा|दुर्गा माई]] ,[[चंडी|चंडीमाई]] , [[शीतला देवी|शीतला माई]] आदि; मगर कहीं कहीं पुरुष देवता भी होते हैं जैसे [[भैरो|भैरो बाबा]] , [[बजरंगबली|बजरंग बली]] , [[ब्रह्मा|ब्रम्हा शंकर]] और [[नंदी]]<ref>[https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/hot-line/%E0%A4%97-%E0%A4%B0-%E0%A4%AE-%E0%A4%A6-%E0%A4%B5%E0%A4%A4/ ग्राम देवता]</ref>।