"आम्भी": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
संजीव कुमार (वार्ता | योगदान) छो 117.199.100.231 (Talk) के संपादनों को हटाकर Godric ki Kothri के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया |
||
पंक्ति 1:
{{इतिहास-आधार}}
[[चित्र:AlexanderIndiaMap.jpg|AlexanderIndiaMap.jpg|right|thumb|300px|सिकन्दर के आक्रमण के समय पश्चिमोत्तर भारत]]
'''आम्भी''' या '''आम्भीक''' ({{lang-en|Ambhi}}) ई. पू. 327-26 में [[भारत]] पर [[सिकन्दर]] महान के आक्रमण के समय [[तक्षशिला]] का राजा था।
▲'''आम्भी''' या '''आम्भीक''' या '''आम्भीराज''' ({{lang-en|Ambhi}}) ई. पू. 327-26 में [[भारत]] पर [[सिकन्दर]] महान के आक्रमण के समय [[तक्षशिला]] का राजा था। उसका राज्य [[सिंधु]] नदी और [[झेलम]] नदी के बीच विस्तृत था। वह पुरु अथवा [[पोरस]] का प्रतिद्वन्द्वी राजा था, जिसका राज्य झेलम के पूर्व में था। वह पोरस का रिश्ते मे सगा मामा लगता था। कुछ तो पोरस से ईर्ष्या के कारण और कुछ अपनी कायरता के कारण उसने स्वेच्छा से सिकन्दर की अधीनता स्वीकार कर ली और पोरस के विरुद्ध युद्ध में सिकन्दर का साथ दिया। सिकंदर ने जब सिंधुनद पार किया तब आंभी ने अपनी राजधानी तक्षशिला में [[चाँदी]] की वस्तुएँ, [[भेड़|भेड़ें]] और [[बैल]] भेंट कर उसका स्वागत किया। चतुर विजेता ने उसके उपहारों को अपने उपहारों के साथ लौटा दिया जिसके फलस्वरूप आंभी ने आगे का देश जीतने के लिए उसे 5,000 अनुपम [[योद्धा]] प्रदान किए।
सिकन्दर ने उसको पुरस्कार स्वरूप पहले तो तक्षशिला के राजा के रूप में मान्यता प्रदान कर दी और बाद में सिंधु के [[चिनाब]] [[संगम]] क्षेत्र तक का शासन उसे सौंप दिया।
सम्भवत: चन्द्रगुप्त मौर्य ने उससे सारा प्रदेश छीन लिया और पूरे [[पंजाब]] से [[यवन|यवनों]] (यूनानियों) को निकाल बाहर किया।
|