"रामधारी सिंह 'दिनकर'": अवतरणों में अंतर
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=== रचनाओं के कुछ अंश ===
किस भांति उठूँ इतना ऊपर?
मस्तक कैसे छू ग्रीवा तक हाथ न जा सकते,
उँगलियाँ न छू सकती ललाट वामन की पूजा किस प्रकार,
पहुँचे तुम तक मानव : ''रे रोक युधिष्ठर को न यहाँ, जाने दे उनको स्वर्ग धीर
: ''पर फिरा हमें गांडीव गदा, लौटा दे अर्जुन भीम वीर --([[हिमालय]] से)
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