"हर की पौड़ी": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:हर की पौड़ी.jpeg|thumb|right|200px|हर की पौड़ी पर संध्या आरती का एक दृश्य।]]
'''हर की पौड़ी''' या '''हरि की पौड़ी''' [[भारत]] की एक धार्मिक नगरी [[हरिद्वार]] का एक पवित्र औरसबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इसका भावार्थ है "हरि यानी [[विष्णु|नारायण]] के चरण"। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के बाद जब [[विश्वकर्मा|विश्वकर्माजी]] अमृत के लिए झगड़ रहे देव-दानवों से बचाकर कर ले जा रहे थे तो पृथ्वी पर अमृत की कुछ बूँदें गिर गई, और वे स्थान धार्मिक मह्त्व वाले स्थान बन गए। अमृत की बूँदे हरिद्वार में भी गिरि थीं और जहाँ पर वे गिरि थीं वह स्थान हर की पौड़ी था। यहाँ पर नहाना हरिद्वार आए हर श्रद्धालु की सबसे चरम इच्छा होती है क्योंकि यह माना जाता है कि यहाँ पर नहाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हर की पौड़ी या ब्रह्मकुंड पवित्र नगरी हरिद्वार का मुख्य घाट है। ये माना गया है कि यही वह स्थान है जहाँ से [[गंगा नदी]] पहाड़ों को छोड़ मैदानी क्षेत्रों की दिशा करती है। इस स्थान पर नदी में पापों को धो डालने की शक्ति है और यहाँ एक पत्थर में [[विष्णु|श्रीहरि]] के पदचिह्न इस बात का समर्थन करते हैं। यह घाट गंगा नदी की नहर के पश्चिमी तट पर है जहाँ से नदी उत्तर दिशा की ओर मुड़ जाती है। हर शाम सूर्यास्त के समय साधु संन्यासी गंगा आरती करते हैं, उस समय नदी का नीचे की ओर बहता जल पूरी तरह से रोशनी में नहाया होता है और याजक अनुष्ठनों में संल्ग्न होते हैं।
इस मुख्य घाट के अतिरिक्त यहाँ पर नहर के किनारे ही छोटे छोटे अनेक घाट हैं। थोडे थोड़े अंतराल पर ही संतरी व सफ़ेद रंग के जीवन रक्षक टावर लगे हुए हैं जो ये दृष्टि रखते हैं कि कहीं कोई श्रद्धालु बह न जाये।
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