"रुद्रप्रयाग": अवतरणों में अंतर

रुद्रप्रयाग के विकास में महात्मा जी का योगदान
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{{स्रोतहीन|date=मई 2016}}
<!-- See [[Wikipedia:WikiProject Indian cities]] for details -->{{Infoboxهdétails Indian Jurisdictions |هيغ
native_name = रुद्रप्रयाग |
type = city |
latd = 30.28 | longd = 78.98 |
state_name = उत्तराखंड |
district = रुद्रप्रयाग |
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skyline= Confluence of Alaknanda and Mandakini at Rudraprayag.JPG|
skyline_caption=रुद्रप्रयाग में [[अलकनंदा]] एवं [[मंदाकिनी नदी|मंदाकिनी]] नदियों का संगम |
website = rudraprayag.nic.in|
footnotes = [http://210.212.78.56/50cities/rudraprayag/english/home.asp]|
}}
 
ؤمينسميابنتبن بنمناهينتينبهلبهنصويهخنبتبلكنتة في حالة ما كان [[चित्र:49-Rudraprayag.jpg|200px|right| रुद्रप्रयाग की एक पेंटिंग]]
'''रुद्रप्रयाग''' [[भारत]] के [[उत्तरांचल]] राज्य के [[रुद्रप्रयाग जिला|रुद्रप्रयाग जिले]] में एक शहर तथा [[नगर पंचायत]] है। रुद्रप्रयाग [[अलकनंदा]] तथा [[मंदाकिनी]] नदियों का संगमस्थल है। यहाँ से अलकनंदा [[देवप्रयाग]] में जाकर [[भागीरथी]] से मिलती है तथा [[गंगा]] नदी का निर्माण करती है। प्रसिद्ध धर्मस्थल [[केदारनाथ]] धाम रुद्रप्रयाग से ८६ किलोमीटर दूर है।
भगवान शिव के नाम पर रूद्रप्रयाग का नाम रखा गया है। रूद्रप्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदी पर स्थित है। रूद्रप्रयाग श्रीनगर (गढ़वाल) से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदाकिनी और अलखनंदा नदियों का संगम अपने आप में एक अनोखी खूबसूरती है। इन्‍हें देखकर ऐसा लगता है मानो दो बहनें आपस में एक दूसरे को गले लगा रहीं हो। ऐसा माना जाता है कि यहां संगीत उस्‍ताद नारद मुनि ने भगवान शिव की उपासना की थी और नारद जी को आर्शीवाद देने के लिए ही भगवान शिव ने रौद्र रूप में अवतार लिया था। यहां स्थित शिव और जगदम्‍बा मंदिर प्रमुख धार्मिक स्‍थानों में से है।