"देववाद": अवतरणों में अंतर
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'''देववाद''' या '''तटस्थेश्वरवाद''' (Deism) के अनुसार, सत्य की खोज में बुद्धि प्रमुख अस्त्र और अंतिम अधिकार है। ज्ञान के किसी भाग में भी बुद्धि के अधिकार से बड़ा कोई अन्य अधिकार विद्यमान नहीं। यह दावा धर्म और [[ज्ञानमीमांसा]] के क्षेत्रों में विशेष रूप में विवाद का विषय बनता रहा है।
[[ईसाई धर्म|ईसाई मत]] में [[धर्म]] की नींव विश्वास पर रखी गई है। जो सत्य ईश्वर की ओर से आविष्कृत हुए है, वे मान्य हैं, चाहे वे बुद्धि की पहुँच के बाहर हों, उसके प्रतिकूल भी हों। 18वीं शती में, [[इंग्लैंड]] में कुछ विचारकों ने धर्म को दैवी आविष्कार के बजाय मानव चिंतन की नींव पर खड़ा करने का यत्न किया। आरंभ में अलौकिक या प्रकृतिविरुद्ध सिद्धांत उनके आक्रमण के विषय
[[ज्ञानमीमांसा]] में बुद्धिवाद और [[अनुभववाद]] का विरोध है। अनुभववाद के अनुसार, मनुष्य का मन एक कोरी तख्ती है, जिस पर अनेक प्रकार के बाह्य प्रभाव अंकित होते
== इन्हें भी देखें ==
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