"अनुवाद": अवतरणों में अंतर

नाइडा और न्यूमार्क
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(२) It becomes very inconvenient to move to the section officer's table along with all the relevant papers a number of times during the day in connection with the above mentioned work.
 
[[चित्र:अनुवाद की प्रक्रिया.jpg|center|400px500px]]
 
(१) one moves to the section officer's table.
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न्यूमार्क (१९७६) के अनुसार अनुवाद प्रक्रिया का प्रारूप निम्नलिखित आरेख के माध्यम से प्रस्तुत किया जा सकता है :
 
[[चित्र:न्यूमार्क आरेख.jpg|center|400px500px|]]
 
नाइडा और न्यूमार्क द्वारा प्रस्तावित प्रक्रिया का विहङ्गावलोकन करने से पता चला है कि दोनों की अनुवाद-प्रक्रिया सम्बन्धी धारणा में कोई मौलिक अन्तर नहीं। बाइबिल अनुवादक होने के कारण नाइडा की दृष्टि प्राचीन पाठ के अनुवाद की समस्याओं से अधिक बँधी दिखी; अतः वे विश्लेषण, संक्रमण तथा पुनर्गठन के सोपानों की कल्पना करते हैं । प्राचीन रचना होने के कारण बाइबिल की भाषा में अर्थग्रहण की समस्या भाषा की व्याकरणिक संरचना से अधिक जुड़ी हुई है । इतः नाइडा के अनुवाद सम्बन्धी भाषा सिद्धान्त में व्याकरण को विशेष महत्त्व का स्थान प्राप्त होता है। व्याकरणिक गठन से सम्बन्धित अर्थग्रहण में 'विश्लेषण' विशेष सहायक माना जाता है, अतः नाइडा ने सोपान का नामकरण भी 'विश्लेषण' किया ।