"हण्टर आयोग": अवतरणों में अंतर

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सन १८८० में [[लार्ड रिपन]] को [[भारत]] का गवर्नर-जनरल मनोनीत किया गया था। उस समय उन्होने भारतीय शिक्षा के विषय में (१८८२ में) एक कमीशन गठित किया जिसे "भारतीय शिक्षा आयोग" कहा गया। सर विलियम हण्टर इसी कमीशन के सदस्य थे और इन्ही के नाम से इसे '''हण्टर कमीशन''' कहा गया।
इस आयोग की निम्नलिखित विशेषताए है-
१. भारतीय धर्म ग्रंथो में मिलावट करने का श्रेय इन्ही को जाता है। इन्होंने सनातन धर्म को कुचलने का प्रयास किया,क्योकि इनका मानना था कि जब तक भारतीयों के प्राचीन धर्म ग्रंथ सुरक्षित हैं तब तक इन पर कोई राज नही कर सकता,अतः मिलावट करके इनकी संस्कृति पर चोट करो,ताकि ये आपस मे ही एक दूसरे से बहस,झगड़े करके,एक दूसरे को कम आंकने लगें।
१. आयोग ने माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा का भार कुशल एवं शिक्षित भारतीयों पर छोड़कर इस स्तर की शिक्षा के प्रसार में योगदान दिया।
लेकिन कुछ अच्छे काम भी किये। लेकिन इस कुकृत्य के लिए ईश्वर इसे कभी क्षमा नही करेंगे।
इसके अलावा इसने कुछ थोड़े बहुत सुधार किए,
१.इस आयोग ने पश्चिमी माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा का भार कुशल एवं शिक्षित भारतीयों पर छोड़कर इस स्तर की शिक्षा के प्रसार में योगदान दिया।
२. सहायता एवं अनुदान की शर्तें सरल एवं उदार थी अतः विद्यालयों की स्थापना तथा संचालन में बहुत मदद मिली।
३. आयोग ने पिछड़ी जाति के बच्चों की शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए।