"नई मस्जिद (इस्तांबुल)": अवतरणों में अंतर

ख़लीफ़ा
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साँचा
 
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सन् ६६१ में खलीफ़ा क़ा जब निर्माण पूरा होने पर सुल्तान को इसका पता चला तो उसने सख्त नाराजगी जताई क्योंकि इस समय केवल मस्जिद हराम के मेनारों की छह लेकिन क्योंकि मस्जिद का निर्माण पूरा हो चुका था इसलिए समस्या का हल यह निकाला गया कि मस्जिद हराम में मीनार की वृद्धि कर इसे मेनारों की सात कर दी गई। मस्जिद के मुख्य कमरे पर कई गुंबद हैं