"नौ दो ग्यारह (1957 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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== दल ==
== संगीत ==
इस फ़िल्म के संगीतकार [[सचिन देव बर्मन]] हैं तथा गीतकार [[मजरुह सुल्तानपुरी]] हैं। फ़िल्म के गीत क्रमबद्ध इस प्रकार हैं
 
{| class="wikitable"
|- style="background:#ccc; text-align:center;"
! गीत !! गायक/गायिका!! चित्रित
|-
| "हम हैं राही प्यार के"
| [[किशोर कुमार]]
| [[देव आनन्द]]
|-
| "आँखों में क्या जी"
| किशोर कुमार और [[आशा भोंसले]]
| देव आनन्द और [[कल्पना कार्तिक]]
|-
| "कली के रूप में"
| [[मोहम्मद रफ़ी]] और आशा भोंसले
| देव आनन्द और कल्पना कार्तिक
|-
| "क्या हो जो फिर दिन रंगीला हो"
| आशा भोंसले और [[गीता दत्त]]
| [[हेलन]] and [[शशि कला]]
|-
| "आजा पंछी अकेला है"
| मोहम्मद रफ़ी और आशा भोंसले
| देव आनन्द और कल्पना कार्तिक
|-
| "ढलती जाये चुनरिया"
| आशा भोंसले
| देव आनन्द और कल्पना कार्तिक
|-
| "देखो तो इधर हाय हाय"
| आशा भोंसले
| देव आनन्द और शशि कला
|-
| "सी ले ज़ुबान"
| गीता दत्त
| शशि कला
|}
 
== रोचक तथ्य ==
यह कल्पना कार्तिक की आख़िरी फ़िल्म थी। इसके बाद उन्होंने गृहस्थी सम्भालने का इरादा कर लिया। यह विजय आनन्द द्वारा निर्देशित पहली फ़िल्म थी।