"नौ दो ग्यारह (1957 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

सफ़ाई
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राधेश्याम मदन को सलाह देता है कि वो दोनों पति पत्नी बन कर चाचा की जायदाद के मैनेजर की नौकरी कर लें और मामले की तह तक जाने की कोशिश करें। नौकरी पाकर उन दोनों की उलझनें और बढ़ जाती हैं। क्या मदन अपना हक़ हासिल करने में सफल हो पाता है?
 
== चरित्र ==
== मुख्य कलाकार ==
* [[देव आनन्द]] - मदन गोपाल
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* [[मदन पुरी]] - राधेश्याम
* [[ललिता पवार]] - कुलदीप की माँ
 
== दल ==
== संगीत ==
इस फ़िल्म के संगीतकार [[सचिन देव बर्मन]] हैं तथा गीतकार [[मजरुह सुल्तानपुरी]] हैं। फ़िल्म के गीत क्रमबद्ध इस प्रकार हैं
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== रोचक तथ्य ==
यह कल्पना कार्तिक की आख़िरी फ़िल्म थी। इसके बाद उन्होंने गृहस्थी सम्भालने का इरादा कर लिया। यह विजय आनन्द द्वारा निर्देशित पहली फ़िल्म थी।
 
== परिणाम ==
=== बौक्स ऑफिस ===
=== समीक्षाएँ ===
== नामांकन और पुरस्कार ==
== बाहरी कड़ियाँ ==
 
* {{imdb title|0050757|नौ दो ग्यारह}}