"सौदागर (1991 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो श्रेणी जोड़ी AWB के साथ |
Surenders25 (वार्ता | योगदान) वर्तनी/व्याकरण सुधार |
||
पंक्ति 16:
| budget =
}}
'''सौदागर''' 1991 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन और निर्माण [[सुभाष घई]] द्वारा किया गया। इसमें हिन्दी सिनेमा के दो वरिष्ठ अभिनेता [[दिलीप कुमार]] और [[राज कुमार]] मुख्य भूमिकाओं में हैं। ये ''[[पैगाम (1959 फ़िल्म)|पैगाम]]'' (1959) के बाद दूसरी फिल्म थी जिसमें दोनों नजर आए।<ref>{{cite news |title=…तो इस तरह दिलीप कुमार और राज कुमार को साथ लाने में कामयाब हो गए थे सुभाष
फिल्म की कहानी दो जिगरी दोस्तों पे केंदित है।<ref>{{cite news |title=फ्रेंडशिप डे: दोस्ती की मिसाल है ये बॉलीवुड फिल्में, याद आ जाएंगे पुराने दोस्त |url=https://www.patrika.com/bollywood-news/bollywood-movies-based-on-friendship-3210240/ |accessdate=16 अगस्त 2018 |work=पत्रिका |date=5 अगस्त 2018 |language=}}</ref> साथ ही इसमें ''[[रोमियो और जूलियट]]'' से समानताएँ पाई गई। फिल्म सफल रही थी और ये दिलीप कुमार की आखिरी प्रमुख फिल्म रही। इसके गीत भी प्रसिद्धी पाए थे।<ref>{{cite news |title=धर्मेंद्र ना बने होते रोड़ा तो आज बॉबी देओल होते बॉलीवुड के 'सौदागर', फिल्म रिलीज के समय हुआ था बवाल |url=https://www.amarujala.com/photo-gallery/entertainment/bollywood/27-years-complete-of-subhash-ghai-film-saudagar-know-about-unknown-facts?pageId=5 |accessdate=16 अगस्त 2018 |work=[[अमर उजाला]] |date=10 अगस्त 2018}}</ref>
== संक्षेप ==
यह फिल्म मंधारी, एक बूढ़े अपंग व्यक्ति के साथ शुरू होती है, जो कुछ दोस्तों की कहानी कुछ बच्चों को सुना रहा है। कहानी में, जमींदार का पुत्र राजेश्वर सिंह और एक गरीब लड़का वीर सिंह, दोस्त बन गए। एक दूसरे को राजू और वीरू बुलाने लगते हैं। वे जैसे-जैसे बड़े हो जाते हैं, राजू वीरू के साथ अपनी बहन पलिकांता की शादी की व्यवस्था करने का फैसला करता है।
चुनिया नामक व्यक्ति दोनों पक्षों को युद्ध में रखकर राजेश्वर के पैसे ऐंठने शुरू करता है। चुनिया वीर के बेटे विशाल को मरवा देता है। वो सोचता है कि राजेश्वर वीर को खत्म करने के लिए कुछ भी कर सकता है। वर्षों में तनाव बढ़ता है। मंधारी, जिसे अब भिखारी और कहानी का हिस्सा बताया गया है। कुछ भाग्यशाली लोगों में से एक है, जिसे किसी भी तरफ से मौत का कोई डर नहीं है।
इस बीच, चुुनिया ने पूरी तरह से राजेश्वर के गढ़ में घुसपैठ की। वह एक बार फिर आग लगाने का फैसला करता है। वे वीरू के क्षेत्र से अमला नाम की एक लड़की का अपहरण, बलात्कार और हत्या करता है। चुनिया की चाल काम करती है, प्रेमियों भी उजागर हो जाते हैं।
जल्द ही, राधा और वासु बचाए गए, लेकिन वे इस तथ्य से अनजान हैं कि उनके दादाजी मिल गए हैं। राजू और वीरू चुनिया को मार देते हैं, लेकिन खुद घायल हो जाते हैं। जैसे-जैसे मित्र एक-दूसरे की बाहों में मर जाते हैं, इस दोस्ती और शत्रुता का अंतिम अध्याय बंद हो जाता है। कहानी वर्तमान में लौटती है जिसमें पता चलता है कि राधा और वासु ने विवाह किया था। उन्होंने अपने दादा दादी के नाम पर एक ट्रस्ट बनाया था, जो बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहा है। मंधारी कहानी उन्हीं को सुना रहा है। राधा और वासु ने स्कूल का उद्घाटन आरती के सामने किया।
|