"प्याज़े का संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त": अवतरणों में अंतर
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=== संवेदी पेशीय अवस्था ===
इस अवस्था में बालक केवल अपनी संवेदनाओं और शारिरीक क्रियाओं की सहायता से ज्ञान अर्जित करता है। बच्चा जब जन्म लेता है तो उसके भीतर सहज क्रियाएँ (Reflexes) होती हैं। इन सहज क्रियाओं और ज्ञानन्द्रियों की सहायता से बच्चा वस्तुओं ध्वनिओं, स्पर्श, रसो एवं गंधों का अनुभव प्राप्त करता है और इन अनुभवों की पुनरावृत्ति के कारण वातावरण में उपस्थित उद्दीपकों की कुछ विशेषताओं से परिचित होता है।
यह जीन पियाजे का बहुत ही अच्छा बालकों के विकास के लिए सिद्धांत है
=== पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था ===
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